हांगकांग: न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) विवाद को पीछे छोड़ते हुए अब वित्त मंत्री अरुण जेटली बड़े कोष प्रबंधकों सहित अन्य विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में लाने का प्रयास कर रहे हैं। मैट को लेकर विवाद की वजह से विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से दूर हुए थे। लेकिन सरकार ने इस तरह के कर के खिलाफ विशेषग्य समिति की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए अब इस विवाद का पटाक्षेप कर दिया है। पिछले दो दिन के दौरान सिंगापुर में सरकारी नेताओं और निवेशकों के साथ बैठक के बाद अब जेटली दो दिन के लिए हांगकांग में हैं। वित्त मंत्री के साथ बंबई शेयर बाजार के प्रमुख आशीष कुमार चौहान सहित एक बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भी यहां आया है। जेटली ने आज निजी इक्विटी, परिसंपत्ति प्रबंधन कंपनियों तथा अन्य संस्थागत निवेशकों के साथ बैठक शुरू की।
भारत के वित्त मंत्री के रूप में इस वैश्विक वित्तीय केंद्र की पहली यात्रा के दौरान कल जेटली एपीआईसी-इंडिया कैपिटल मार्केट्स तथा संस्थागत निवेशक सम्मेलन को संबोधित करेंगे। वह वैश्विक निवेशकों को भारत के विकास की कहानी की ओर आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। इसके अलावा वह निवेशकों को यह भी बताएंगे कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार किस तरह इन चुनौतियों से निपट रही है। इसके अलावा वित्त मंत्री जेटली बुनियादी ढांचा सहित अन्य क्षेत्रों में विदेशी निवेश को आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। अंतरराष्ट्रीय बाजार में संकट के बावजूद भारत वैश्विक स्तर पर सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में है। वित्त मंत्री इसके साथ बड़े विदेशी खिलाडि़यों को भी भारतीय बाजार में आकर्षित करने का प्रयास करेंगे। इनमें से काफी हांगकांग और सिंगापुर के जरिए एशिया में परिचालन करते हैं।
एशिया प्रशांत निवेशक सहयोग (एपीआईसी) एक व्यापारिक प्लेटफार्म है, जिसका गठन एशियाई संस्थागत निवेशकों द्वारा किया गया है। इनमें पेंशन कोष, सावरेन संपदा कोष, सरकारी कोष, सामाजिक सुरक्षा प्रणाली और बीमा कंपनियां शामिल हैं। ये संस्थान एपीआईसी की निजी सदस्यता का प्रतिनिधित्व करते हैं। एपीआईसी के दायरे में एशिया प्रशांत के 22 बाजार आते हैं। इसके प्रबंधन के तहत 30,000 अरब डॉलर से अधिक की परिसंपत्तियां हैं। जेटली कल भारत रवाना होने से पहले हांगकांग के मुख्य कार्यकारी के साथ बैठक करेंगे।
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