नई दिल्ली: सबसे निष्पक्ष और स्थिर नीतिगत माहौल का वादा करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज अमेरिकी कंपनियों को बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश के विशाल मौके का फायदा उठाने और द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने के लिए आमंत्रित किया। मंत्री ने कहा कि वैश्विक वित्तीय उथल-पुथल भारत के लिए चिंता का विषय नहीं है क्योंकि कच्चे तेल और अन्य जिसों की कीमत में गिरावट से भारत को बुनियादी ढांचा और सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं के लिए और कोष की व्यवस्था करने में मदद मिली। जेटली 11वें भारत-अमेरिका आर्थिक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसमें भारत में अमेरिकी राजदूत रिचर्ड वर्मा भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि सरकार पिछली सरकारों से मिली कराधान से जुड़ी ज्यादातर समस्याओं को निपटाने और इन पर विराम लगाने में कामयाब रही है। उन्होंने कहा कि सबसे निष्पक्ष कराधान प्रणाली विकसित करने, कारोबार सुगमता को बढ़ावा देने, निर्णय प्रक्रिया की गति बढ़ाने और स्थिर नीतिगत प्रणाली शुरू करने की कोशिश की गई है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जहां तक कारोबार सुगमता में सुधार और विश्वसनीय कराधान प्रणाली का सवाल है, इन पर काम चल रहा है। भारत में निवेश के मौकों पर जेटली ने कहा, बुनियादी ढांचा क्षेत्र - सड़क, बंदरगाह, रेलवे और स्वच्छ उर्जा आदि - में बहुत संभावनाएं हैं। उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत-अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार को मौजूदा 100 अरब डॉलर से बढ़ाकर 500 अरब डॉलर करने का लक्ष्य अगले कुछ सालों में हासिल कर लिया जाएगा। शेयर, मुद्रा और जिंस बाजारों में मौजूदा वैश्विक वित्तीय संकट का हवाला देते हुए जेटली ने कहा कि इसने नीतिनिर्माताओं का काम मुश्किल कर दिया है। उनके लिए एक क्षण या एक दिन भी चैन नहीं है। वर्मा ने अपने भाषण में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी अमेरिका यात्रा को लेकर कैलिफोर्निया में बहुत उत्साह का माहौल है। उन्होंने कहा कि वह जवाहरलाल नेहरू के बाद कैलिफोर्निया की यात्रा करने वाले दूसरे भारतीय प्रधानमंत्री हैं।
उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंध को नए स्तर पर ले जाने में मोदी की यात्रा की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
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