वाशिंगटन: इंडियन आईटी कंपनियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। एच-1बी वीजा पर लगने वाली 2,000 डॉलर फीस को यूएस कांग्रेस ने खत्म कर दिया है। आउटसोर्सिंग फीस के नाम पर ली जाने वाली इस राशी के खत्म होने से भारतीय कंपनियों के लाखों डॉलर्स बचेंगे।
इंडियन कंपनियों ने लगाया था भेदभाव का आरोप
आउट-सोर्सिग फीस यानी बाहर से कर्मचारी मंगाने के नाम पर अमेरिका 2,000 डॉलर कंपनियों से वसूलती थी। इंडियन कंपनियों ने एच-1बी वीजा के जरिए अमेरिका में आने वाले क्वालिफाइड आईटी प्रोफेशनल्स पर लगने वाली इस फीस को ‘भेदभाव’ वाला बताया था। साल 2010 में यूएस कांग्रेस की ओर से 50 फीसदी से ज्यादा विदेशी कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए पर 2,000 डॉलर फीस लगाने से जुड़ा कानून पेश किया था।
गैर-कानूनी इमिग्रेशन के लिए उठाया था कदम
इस शुल्क को अमेरिकी ने अमेरिका-मेक्सिको के बॉर्डर से गैर-कानूनी इमिग्रेशन रोकने के लिए लगाया था। इसके चलते पिछले कुछ वर्षों में अमेरिका में काम कर रही कंपनियां खास कर सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को भारत से बुलाए गए कर्मचारियों के वीसा पर दसियों लाख डॉलर चुकाना पड़ा है।
2010 में बना था नया कानून
10 अगस्त 2010 में नया कानून पास हुए था। इसके तहत क्वालीफाई करने वाली कंपनियों के लिए एच-1बी और एल-1 वीजा प्रति आवेदन बढ़ाया गया था। एच-1बी की फीस 2,000 डॉलर और एल-1 की फीस 2,250 करने का प्रावधान था।
9/11 हमले के बाद बढ़ाई गई कानून कूी अवधि
कानून की अवधि को 9/11 स्वास्थ्य एवं मुआवजा कानून 2010 के तहत चार से पांच साल के लिए बढ़ा दिया था, ताकि फायरफाइटर्स और 9/11 हमले के बाद मदद करने वाले लोगों को हेल्थकेयर और फाइनेंशियल मुआवजा दिया जा सके।
यह भी पढ़ें
अफगानिस्तान में अमेरिका का सी-130 विमान दुर्घटनाग्रस्त, 11 मरे