नई दिल्ली: भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए यूपीए सरकार के जिस फैसले का कड़ा विरोध किया था अब मोदी सरकार ने उसी फैसले पर हामी भर दी है। केंद्र सरकार ने मल्टीब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को मंजूरी दे दी है। गौरतलब है कि जब साल 2012 में यूपीए-2 की सरकार ने मल्टीब्रांड रिटेल में 51 फीसदी एफडीआई को अनुमति दी थी उस वक्त विपक्ष में बैठी भाजपा ने इसका फैसले का कड़ा विरोध किया था।
औद्योगिक नीति एवं प्रोत्साहन (डीआईपीपी) विभाग द्वारा एफडीआई मसले पर जारी किए गए दस्तावेज से यह जाहिर होता है कि मौजूदा सरकार ने मल्टीब्रांड रिटेल में एफडीआई की 51 फीसदी सीमा को बरकरार रखने का अंतिम फैसला किया है। इस पूरे दस्तावेज में पिछले एक साल के दौरान एफडीआई के मसले पर सरकार द्वारा किए गए बदलावों और बरकरार रखे गए फैसलों की पूरी जानकारी है। इस दस्तावेज में रक्षा और बीमा क्षेत्र के लिए एफडीआई में किए गए बदलावों का भी जिक्र है। आपको बता दें कि इन दोनों ही क्षेत्रों में एफडीआई की सामा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी की गई है। करीब 119 पेज के इस दस्तावेज के मुताबिक निवेशकों के लिए पालिसी को और सरल बनाने का प्रयास किया गया है।
गौरतलब है कि डीआईपीपी एफडीआई पालिसी की नोडल एजेंसी है और यह एफडीआई पालिसी में होने वाले बदलावों को प्रेस नोट के जरिए सूचित करती है। एनडीए सरकार द्वारा जारी किया जाने वाला यह इस तरह का पहला दस्तावेज होगा।