नई दिल्ली: लेड और ग्लूटामेट के पीपीएम स्तर को लेकर विवादों में आई नैस्ले की मैगी अब भारतीय बाजारों से वापसी की तैयारी कर रही है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि मैगी को फटकार लगाने वाले FSSAI की रडार में पहले भी दिग्गज ब्रांड के सैकड़ो प्रोडक्ट्स आ चुके हैं। ऐसा नहीं है कि भारतीय खाद्य विभाग की लेड को लेकर उपजी चिंता नई है इसी तरह के अन्य खतरनाक कैमिकल्स वाले काफी सारे उत्पादों पर भी पहले भी आपत्ति जताई जा चुकी है फिर वो चाहे टाटा स्टार बक्स का वनीला फ्लैवर्ड सिरप हो या केलोग्स का केलोग्स स्पेशल के-बैरीज़। जानिए ऐसे ही कुछ ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के बार में जिन पर FSSAI का डंडा खूब चला।
The Logical Indian की एक खबर के मुताबिक आपको यह जानकर हैरानी होगी कि हमारे रोज़मर्रा के इस्तेमाल में आने वाले दिग्गज कंपनियों के प्रोडक्ट्स जैसे कि टाटा स्टारबक्स, केलौग्स, एम-वे भी गुणवत्ता के आधार पर खारिज किए जा चुके हैं। यह डाटा 30 अप्रैल 2015 तक के रिजेक्टिड ब्रैंड्स का है। FSSAI के द्वारा जारी किए गए डाटा के मुताबिक खाने के सैम्पल्स में पाया गया है कि मिलावट साल दर साल बढ़ती जा रही है। साल 2011-12 में 64593 सैम्पल्स में से 8247 में मिलावट पाई गई थी। यानी की 12.8 फीसदी मिलावट थी। जो की साल 2013-14 में 13571 सैम्पल्स मिलावटी पाए गए थे जिसके तहत 18.8 फीसदी मिलावट थी।