नई दिल्ली: Whatsapp, Viber और Skype जैसी इंटरनेट मैसेंजर सेवाओं के माध्यम से घरेलू निशुल्क कॉल की सुविधा खत्म हो सकती है। एक आधिकारिक समिति ने सुझाव दिया है कि दर और नियमन के लिए इन मैसेंजर सेवाओं का दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के अनुरूप मानकीकरण किया जाना चाहिए। समिति ने हालांकि कहा, "इस नियमन से उनके द्वारा दी जा रही अन्य दूरसंचार सेवाओं पर बाधा नहीं आनी चाहिए। मौजूदा दूरसंचार लाइसेंस शर्तो के तहत इंटरनेट दूरभाष को सीमित शर्तो के साथ मंजूरी दी गई है। लेकिन ओटीटी के मूल्य निर्धारण (OTT) के साथ घरेलू वॉइस संचार सेवाओं में मौजूदा दूरसंचार आय के मॉडल को ध्वस्त करने की क्षमता है। "
तकनीक विशेषज्ञ ए.के.भार्गव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि दूरसंचार और इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनियों द्वारा उपलब्ध कराई गई टैरिफ योजनाओं को सरकार के इंटरनेट तटस्थता के सिद्धांतों पर खरा उतरना चाहिए।
उन्होंने कहा, "वैध यातायात प्रबंध गतिविधियों को मंजूरी दी जानी चाहिए, लेकिन इन्हें इंटरनेट तटस्थता के मुख्य सिद्धांतों के खिलाफ जांचा जाना चाहिए।"
समिति ने हालांकि इंटरनेट मैसेंजर सेवाओं द्वारा किए जाने वाले अंतर्राष्ट्रीय कॉल के मामले में उदार व्यवस्था को कायम रखे रहने की सिफारिश की है।
इंटरनेट तटस्थता से अभिप्राय है कि सरकार और इंटरनेट सेवा प्रदाताओं को इंटरनेट पर सभी डेटा और सेवाओं को समान रूप से उपलब्ध करानी चाहिए। इंटरनेट के इस्तेमाल पर, उसकी सामग्री, साइटों, एप आदि के लिए उपभोक्ताओं से अलग से शुल्क नहीं लिया जाना चाहिए।
सिफारिश पर अपनी प्रतिक्रिया में इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया (आईएएमएआई) ने कहा कि भारत में नेट टेलीफोनी पर पहले से ही काफी नियमन है और विभिन्न प्रकार के सेवा प्रदाताओं के बीच और लाइसेंसिंग या आय साझेदारी व्यवस्था की जरूरत नहीं थी।
उन्होंने कहा कि इससे नवाचार हतोत्साहित होगा, जिसकी आज महती जरूरत है।
दूरसंचार परामर्श कंपनी कॉम फर्स्ट के निदेशक महेश उप्पल ने कहा, "हमें ओटीटी सेवाओं को सुविधा देने की जरूरत है। ओटीटी कंपनियों पर नियमन का बोझ लादने की अपेक्षा दूरसंचार कंपनियों पर से इसे घटाने की जरूरत है। समिति ओटीटी कंपनियों पर नियमन सख्त करने सिफारिश कर रही है, जो प्रतिगामी कदम है।"
फेसबुक के मोबाइल एवं ग्लोबल एक्सेस पॉलिसी के उपाध्यक्ष केविन मार्टिन ने कहा, "जैसा कि आज की रिपोर्ट में स्वीकार किया गया है हमने इंटरनेट तक पहुंच बनाने के लिए 'इंटरनेट डॉट ओआरजी' मंच प्रदान किया है, जो कि सभी के लिए खुला और गैर विशिष्ट है।"
उन्होंने कहा कि हम दूरसंचार विभाग की परामर्श प्रक्रिया का स्वागत करते हैं और आज हमारे समक्ष आ रही बुनियादी ढांचे, किफायती और सामाजिक बाधाओं को दूर करने के लिए सभी हितधारकों के साथ काम करने को लेकर प्रतिबद्ध हैं, ताकि अधिक से अधिक लोगों को ऑनलाइन लाया जा सके।
गैर सरकारी संगठन टेलीकॉम वाचडॉग ने रिपोर्ट की भर्त्सना करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखा है, "रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशों को यदि लागू किया जाता है, तो करोड़ों उपभोक्ताओं पर बुरा असर होगा। बाहर से सिफारिशें देखने से ऐसा लगता है कि यह इंटरनेट तटस्थता बढ़ाती है, पर इसके विस्तार में जाने पर पता चलता है कि वास्तविकता इसके उलट है। यह उपभोक्ताओं के विरोधी है और डिजिटल इंडिया का विरोधी है।"
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