हांगकांग: विदेशी संस्थागत निवेशकों ने वित्त मंत्री अरूण जेटली के साथ आज यहां बैठक के दौरान भारत में निवेश की व्यवस्था को और सरल बनाने की जरूरत पर बल दिया। दो दिन की यात्रा का समापन करते हुए जेटली ने निवेश आकर्षित करने के लिये सरकार द्वारा हाल में उठाये गये कदमों को रेखांकित किया और उनसे कहा कि देश में कारोबार को सुगम बनाने के लिये और सुधार लाये जा रहे हैं।
अन्य बातों के अलावा निवेशकों ने मंत्री से दीर्घकालीन निवेश को बढ़ावा देने तथा नीतियों की घोषणा के क्रियान्वयन का अनुरोध किया। वित्त मंत्रालय ने एक विग्यप्ति में कहा, निवेशकों ने निजी इक्विटी तथा करारोपण, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के लिये प्रक्रियागत जरूरतों को और सरल बनाने की जरूरत से संबद्ध मुद्दों को उठाया और सुझाव दिया कि आयकर विभाग में विदेशी निवेशकों से निपटने के लिये एक अलग प्रकोष्ठ बनाया जा सकता है।
बैठक के दौरान जेटली ने घरेलू निजी इक्विटी कंपनियों के लिये तथा कोष प्रबंधकों से संबद्ध कर की जिम्मेदारी आगे बढ़ाने :पास थ्रू: से संबद्ध 2015-16 के बजट में किये गये प्रावधानों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि कारोबार करने को सुगम बनाने के लिये हाल के महीनों में उपयुक्त प्रावधान किये गये हैं। विग्यन्ति के अनुसार, निवेशकों ने श्रम सुधारों, मेक इन इंडिया तथा भारत और चीन के बीच सीमा पार द्विपक्षीय निवेश अवसरों से जुड़े मुद्दों को उठाया।
इसके अलावा, जेटली ने हांगकांग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी सी वाई लेंग से मुलाकात की और दोहरा कर बचाव समझौता :डीटीएए: के निष्कर्ष पर पहुंचाने की जरूरत के बारे में चर्चा की। एपीआईसी द्वारा आयोजित इंडिया कैपिटल मार्केट एंड इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स सम्मिट में अपने संबोधन में जेटली ने भारत की वृद्धि की कहानी के साथ उन्होंने सिंचाई तथा बुनियादी ढांचा क्षेत्र एवं कर सुधारों में निवेश बढ़ाने की प्राथमिकताओं को रेखांकित किया। विग्यप्ति के अनुसार उन्होंने हाल में घोषित राष्ट्रीय निवेश एवं बुनियादी ढांचा कोष :एनआईआईएफ: का भी जिक्र किया।
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