नई दिल्ली: डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने भारत में नेट न्यूट्रालिटी पर रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट 100 पन्नों की है जिसमें नेट न्यूट्रिलिटी के मूल सिद्धांतों को बरकरार रखा गया है। पैनल ने टेलीकॉम कंपनियों को कहा है कि देश में इंटरनेट फ्री और बिना किसी भेदभाव के होना चाहिए। नेट न्यूट्रिलिटी पर सरकार पॉलिसी बनाने के लिए कमेटी की रिपोर्ट की आधार बनेगी। इस साल जनवरी में डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम कमेटी 45 सेस्थानों से मिली जिसमें फेसबुक, गूगल, फ्लिपकार्ट, एमेजॉन, पेटीएम, वाइबर, स्काइप आदि थे। डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम ने कहा है कि स्काइप, वाट्सऐप और वाइबर जैसे एप की मदद से इंटरनेट पर स्थानीय काल को दूरसंचार सेवा कंपनियों की सामान्य फोन-काल
सेवाओं के समान मान कर उनका उसी तरह नियमन किया जाना चाहिए।
इस समिति ने फेसबुक की इंटरनेट.ऑर्ग जैसी परियोजनाओें पर रोक लगाने की सिफारिश की है जो कुछ वेबसाइटों से संपर्क के लिए ग्राहकों से मोबाइल डेटा शुल्क नहीं लेंती। उसका सुझाव है कि उसी तरह की एयरटेल जीरो जैसी योजनाओं को ट्राई की पूर्व अनुमति के बाद ही लागू करने की छूट होनी चाहिए।
दूरसंचार विभाग के तकनीकी सलाहकार ए के भार्गव की अध्यक्षता वाली इस समिति ने कहा है कि ओवर-दी-टॉप :ओटीटी: वायस ऑन इंटरनेट प्रॉटॉकोल पर अंतरराष्ट्रीय कॉल सेवाओं को लेकर उदार दृष्टिकोण अपनाया जा सकता है। लेकिन घरेलू काल :स्थानीय और राष्ट्रीय: के मामले में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और अेटीटी संचार सुविधाओं को फिलहाल नियामकीय दृष्टि से समान रूप से देखा जा सकता है।
इंटरनेट को निरपेक्ष रखने की अवधारणा का अर्थ है कि इंटरनेट पर सभी प्रकार के ध्वनि और आंकड़ों के प्रसार के साथ बराबर का व्यवहार होना चाहिए और सेवा प्रदाता या इंटरनेट सामग्री प्रदाता को दिए जाने वाले भुगतान के आधार पर किसी कंपनी या इकाई को प्राथमिकता नहीं दी जानी चाहिए।