मुंबई: डॉलर के मूल्य में गिरावट, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की गैर डॉलर मुद्राओं में प्रतिभूतियों पर ब्याज भुगतान, वायदा कारोबार बाजार में इसकी भागीदारी पर अच्छे लाभांश की वजह से विदेशी मुद्रा भंडार में इजाफा हुआ है।
आरबीआई के साप्ताहिक सांख्यिकीय सप्लीमेंट के मुताबिक, भारत का कुल विदेशी मुद्रा भंडार 15 मई, 2015 को समाप्त सप्ताह के दौरान 1.74 अरब डॉलर बढ़ कर 353.87 अरब डॉलर हो गया है।
आठ मई को समाप्त सप्ताह में यह भंडार 26.24 करोड़ डॉलर बढ़कर 352.13 अरब डॉलर रहा है। एक मई से पहले सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 7.26 अरब डॉलर बढ़कर 351.86 अरब डॉलर रहा था। जनवरी से लेकर अब तक विदेशी मुद्रा भंडार लगभग 25 अरब डॉलर बढ़ा है।
कोटक सिक्युरिटीज के मुद्रा डेरिवेटिव के वरिष्ठ प्रबंधक अनिंद्य बनर्जी के मुताबिक, "विदेशी मुद्रा भंडार ने एक नए स्तर को छुआ है। डॉलर के मूल्य में कमी आने की वजह से गैर डॉलर मुद्राओं और सोने के मूल्य में बढ़ोतरी हुए है।"
बनर्जी ने कहा, "आरबीआई को गैर डॉलर मुद्राओं में रखी गई प्रतिभूतियों पर ब्याज भुगतान प्राप्त हुआ है।"
इस बढ़ोतरी का एक महत्वूपर्ण कारण यह है कि ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि आरबीआई डॉलर बेचकर अग्रिम कारोबारी बाजार में हस्तक्षेप नहीं करेगी।
गौरतलब है कि पिछले दो सप्ताह से न्यूनतम वैकिल्पक कर (एमएटी) मुद्दे की वजह से विदेशी फंडों के बाजार से पीछे हटने की वजह से रुपये का मूल्य प्रभावित हुआ है।
ऐसा अनुमान है कि आरबीआई रुपये की गिरावट को कम करने के लिए अग्रिम कारोबारी बाजारों में लगभग पांच से छह अरब डॉलर बेच सकती है।
आरबीआई अमेरिकी फेडरल रिजर्व के रुख को लेकर भी सतर्क है। ऐसी संभावना है कि फेडरल रिजर्व इस साल के अंत तक ब्याज दरें बढ़ा सकती है।