नई दिल्ली: देश में 5100 किलोमीटर के बीओटी (बिल्ट, ऑपरेट एंड ट्रांसफर) रोड प्रोजेक्ट्स खतरे में हैं। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अपने एक ताजा अध्ययन में कहा है कि इन बीओटी रोड प्रोजेक्ट्स में से आधे से अधिक निर्माणाधीन हैं। यह ऐसे प्रोजेक्ट्स हैं जिनकी वित्तीय लागत कई गुना बढ़ चुकी है। ऐसा कॉन्ट्रैक्ट के लिए आक्रामक बोली लगाने और भूमि अधिग्रहण में हो रही देरी से लागत बढ़ने के कारण हुआ है।
क्रिसिल के सीनियर डायरेक्टर सुदीप सूरल ने कहा कि इन प्रोजेक्ट्स की होल्डिंग कंपनियों पर पहले ही भारी कर्ज का बोझ है। लेकिन इन कंपनियों को प्रोजेक्ट्स से नहीं हटाया जा सकता क्योंकि यह कंपनियां इन प्रोजेक्ट्स के निर्माण पर कुछ पैसा खर्च कर चुकी हैं।
क्रिसिल ने कहा है कि बीओटी के तहत निर्माणाधीन कुल रोड प्रोजेक्ट्स में से आधे से अधिक (तकरीबन 5100 किलोमीटर लंबाई के) पूरा न होने के हाई रिस्क जोन में हैं। इन प्रोजेक्ट्स के लिए 45,900 करोड़ रुपए का लोन भी पास हो चुका है। अध्ययन में कहा गया है कि अधिक समय और लागत बढ़ने की वजह से हाईवे निर्माण का काम धीमा हो गया है। कंपनियों की कमजोर वित्तीय स्थिती और नया निवेश लाने की उनकी अक्षमता के कारण भी इन प्रोजेक्ट्स के पूरा न होने का खतरा बढ़ गया है।
सुराल ने कहा कि निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स के लिए अगले दो साल के दौरान जरूरी इक्विटी और लागत बढ़ने के कारण लगभग 28,500 करोड़ रुपए के सपोर्ट की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि कंपनियों को इसमें से 16,000 करोड़ रुपए आंतरिक स्रोतों से और स्पेशल परपज व्हीकल के स्तर पर स्टेक की बिक्री से जुटाने पड़ सकते हैं। इसके बावजूद सेक्टर को कम से कम 12,500 करोड़ रुपए की अतिरिक्त जरूरत होगी।
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