नई दिल्ली: नए कंपनी कानून से जुड़े मुद्दों के समाधान के लिए गठित सरकार की उच्च-स्तरीय समिति को संबद्ध पक्षों से 2,000 से अधिक सुझाव मिले हैं और उम्मीद है कि समिति दिसंबर के अंत तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप दे देगी। एक अधिकारी के मुताबिक अधिनियम के कार्यान्वयन से जुड़े मुद्दों के समाधान के साथ समिति नियामकीय अनिवार्यताओं और कारोबारी सुगमता के बीच संतुलन स्थापित करेगी। कंपनी अधिनियम 2013 के कुछ प्रावधानों के बारे में विभिन्न पक्षों की ओर से जाहिर चिंता करने के बीच कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने जून एक समिति का गठन किया।
मंत्रालय ने कंपनी अधिनियम 2013 में कुछ बदलाव किए। गौरतलब है कि अधिनियम के ज्यादातर प्रावधान एक अप्रैल 2014 से प्रभावी हुए। इसके अलावा कई नियमों में संशोधन किया गया है। अधिकारी ने कहा कि कंपनी कानून समिति को संबद्ध पक्षों से 2,000 से अधिक सुझाव मिले और वह इन विचार करने की प्रक्रिया में है। समिति दिसंबर अंत तक अपनी रिपोर्ट को अंतिम स्वरूप देगी। समिति सरकार को कंपनी अधिनियम 2013 लागू करने से जुड़े मुद्दों पर सुझाव देगी।
समिति दिवालियापन कानून सुधार समिति, कारपोरेट सामाजिक दायित्व समिति, विधि आयोग और अन्य एजेंसियों से मिले सुझावों का भी परीक्षण करेगी। इस आठ सदस्यीय समिति में न्यायपालिका और उद्योग के प्रतिनिधि हैं। समिति अपने काम के दौरान जरूरत पड़ने पर SEBI, आबीआई, CAG आदि के प्रतिनिधियों से विशेषज्ञ के तौर पर आमंत्रित कर सकती है।
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