नईदिल्ली: आयकर विभाग ने एक नई योजना पर अमल करना शुरू किया है जिसमें यह सुनिश्चित होगा कि आयकर रिफंड करदाता के व्यक्तिगत बैंक खाते में यथाशीघ्र व सुरक्षित पहुंचे। आयकर विभाग चाहता है कि कर रिटर्न की जांच-परख होने के बाद यदि रिफंड बनता है तो वह तुरंत करदाता के खाते में पहुंचे।
अभी विभाग मौजूदा व्यवस्था के तहत 50,000 रुपये मूल्य से अधिक का आयकर रिफंड चेक के रूप में डाक विभाग के जरिए भेजता है। वह इस मौजूदा व्यवस्था को समाप्त कर बैंकिंग सेवाओं का इस्तेमाल करना चाहता है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड की चेयरपर्सन अनिता कपूर ने कहा कि इस आशय की योजना पर प्राथमिकता के आधार पर काम किया जा रहा है और इसका उद्देश्य रिफंड मामले में करदाताओं की शिकायतों को समाप्त करना है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने गलत रिफंड होने या रिफंड नहीं मिलने की समस्या जारी रहने पर बैंकों व भारतीय रिजर्व बैंक के संपर्क में है।
अनिता कपूर ने बताया कि विभाग की मंशा है कि किसी करदाता के खाते में रिफंड डालने से पहले उक्त करदाता की खाता संख्या के साथ साथ उसके नाम का मिलान भी कर लिया जाए और अगर दोनों मिल जाते हैं तो रिफंड की राशि सीधे खाते में डाल दी जाए। लेकिन मौजूदा व्यवस्था में कुछ करदाता खाता संख्या गलत लिख देते हैं तो इस समय नाम का मिलान नहीं किया जाता जिससे अनेक बार रिफंड राशि गलत खातों में चली जाती है जो बाद में बड़ी समस्या का कारण बनती है। सीबीडीटी इस व्यवस्था में कुछ बदलाव कर सुधार करने पर विचार कर रहा है।