Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. बिज़नेस
  3. संसदीय समिति ने कहा मनरेगा के नकली जॉब कार्ड की कैग से जांच हो

संसदीय समिति ने कहा मनरेगा के नकली जॉब कार्ड की कैग से जांच हो

नई दिल्ली: संसद की एक स्थायी समिति ने मनरेगा के तहत नकली जॉब कार्ड मामले में सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया है। समिति ने इस समस्या के समाधान के लिए औचक निरीक्षण करने और

PTI
Updated : August 13, 2015 16:58 IST
मनरेगा में नकली जॉब...
मनरेगा में नकली जॉब कार्ड की जांच करेगा कैग

नई दिल्ली: संसद की एक स्थायी समिति ने मनरेगा के तहत नकली जॉब कार्ड मामले में सरकार की चुप्पी पर सवाल उठाया है। समिति ने इस समस्या के समाधान के लिए औचक निरीक्षण करने और इस तरह के भुगतान की भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक से लेखापरीक्षा कराने को कहा है।

अन्नाद्रमुक नेता पी. वेणुगोपाल की अध्यक्षता वाली ग्रामीण विकास पर संसद की स्थायी समिति ने मनरेगा सहित तीन अन्य रिपोर्टों जिनमें पेयजल एवं सफाई तथा ग्रामीण विकास की कई अन्य योजनाओं के क्रियान्वयन में खामियों का पता लगाया है और उम्मीद जताई है कि सरकार इन मामलों में सुधारात्मक कदम उठाएगी।

इन रिपोर्टों को आज संसद के दोनों सदनों के पटल पर रखा गया। समिति ने अपनी चौदहंवी रिपोर्ट में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार कानून (मनरेगा) के तहत काल्पनिक नामों से नकली जॉब कार्ड बनाने, जॉब कार्ड अवैध रूप मनरेगा कार्यकर्ता और पंचायती राज संस्थानों के प्रतिनिधि जैसे प्रभावशाली लोगों के पास रखे जाने जैसी खामियों पर गौर किया है।

   
समिति ने जॉब कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में सुधार लाने, नकली जॉब कार्ड जारी करने जैसे मामलों को मनरेगा कानून की धारा 25 के तहत दंडनीय बनाने और जॉब कार्ड मामले में औचक निरीक्षण करने जैसे कदमों पर जोर दिया है। समिति ने जॉब कार्ड को मतदाता कार्ड, आधार कार्ड से जोड़ने पर भी जोर दिया है। समिति ने कहा है कि जॉब कार्ड से जुड़े पूरे मामले को कैग के ऑडिट दायरे में लाया जाना चाहिए।
   
समिति ने मामले में मंत्रालय के जवाब पर भी असंतोष जताया है। जॉब कार्ड को कैग की लेखापरीक्षा के दायरे में लाने पर मंत्रालय ने कुछ नहीं कहा है। जॉब आवेदकों को तिथि के साथ पर्ची नहीं दिए जाने की शिकायत पर भी ग्रामीण विकास विभाग ने कुछ नहीं कहा। समिति ने इस मामले पर भी गौर किया है कि कुछ राज्यों में मनरेगा के तहत महिलाओं की भागीदारी राष्ट्रीय औसत से कम है। असम, बिहार, झारखंड, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल में यह औसत कम रहा है। इन राज्यों में महिलाओं को एक तिहाई रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के सांविधिक अनिवार्यता को भी पूरा नहीं किया गया है।
   
समिति ने संसाधनों के अधिकतम इस्तेमाल और बेकार खर्च से बचने के लिए विभिन्न योजनाओं को मिलाने के मामले में ग्रामीण विकास विभाग द्वारा गंभीरता नहीं दिखाए जाने पर भी नाराजगी जताई है। समिति ने पेयजल एवं स्वच्छता पर अपनी 13वीं रिपोर्ट में कहा है कि ग्रामीण आबादी को सुरक्षित एवं स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए उपयुक्त योजना और उसका प्रभावी क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जाना चाहिए। समिति चाहती है कि इसके लिए एक स्वतंत्र मूल्यांकन अध्ययन जल्द से जल्द कराया जाना चाहिए।
   
समिति ने इस बात पर भी गौर किया है कि पिछले वित्त वर्ष में लक्ष्य के मुकाबले केवल 55 प्रतिशत शौचालय ही निर्मित किए गए, इसमें तेजी लाई जानी चाहिए।

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें बिज़नेस सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement