बिग गेनर-
लिस्टेड टेलीकॉम कंपनी भारती एयरटेल की बुनियादी ढांचे की इकाई भारती इंफ्राटेल के शेयरों में मोदी सरकार के एक साल के दौरान 99 फीसदी का उछाल देखने को मिला। इस फर्म के मुख्य क्लाइंट्स में एयरटेल, आईडिया और वोडाफोन जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स भी शामिल हैं। देश में 4जी टेलीकॉम स्पेक्ट्रम के ऑक्शन के बाद डाटा और वॉइस यूजेज काफी तेजी से बढ़ा है। वहीं टॉवर के बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्य की मांग में भी तेजी आएगी।
ल्यूपिन, सिप्ला और सन फॉर्मा जैसी दवा निर्माता कंपनियां भी बीते साल की टॉप गेनर कंपनियों में से थीं। इनके शेयरों में भी 92.6 फीसदी, 72.2 फीसदी और 68 फीसदी उछाल देखने को मिला। इंडस्ट्री ने बीते साल विलय और अधिग्रहण जैसी भी कई गतिविधियां देखीं। जैसे कि सनफॉर्मा ने साल 2014 के अप्रैल महीने में रैनबैक्सी के साथ विलय की घोषणा की थी, जिसके बाद इसके शेयरों में अचानक बढ़त देखने को मिली थी। वहीं लुपिन ने भी एक छोटा अधिग्रहण किया था जिसके बाद उसके शेयरों में उछाल आ गया था।
जर्मनी की एक इंजीनियरिंग फर्म बुश के शेयरों में भी बीते 12 महीनों में 84 फीसदी की बढ़त देखने को मिली। यह देश की एकलौती कंपनी है जो तकनीक और ऑटो उपकरण की आपूर्ति करती है। बीते पांच सालों में भी इस कंपनी के शेयरों में उछाल देखने को मिला है।
बिग लूजर-
तमाम कंपनी के शेयरों में उछाल के इतर बीते एक साल में तेल और गैस क्षेत्र से जुड़ी कंपनियों के शेयरों में गिरावट का रुख देखने को मिला। पहले से ही तेल आपूर्ति की किल्लत और वित्तपोषण की कमी से जूझ रही कंपनियों की हालत सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले ने खस्ता कर दी जिसमें 218 कोल ब्लॉक के पूर्व आवंटन को रद्द कर दिया गया। इस फैसले ने पॉवर सेक्टर को बड़ी गंभीर परेशानी में डाल दिया।
बीते एक साल में सबसे बड़ा नुकसान जिस कंपनी को हुआ वह जिंदग स्टीड एंड पावर रही जिसके पास सबसे बड़ी संख्या में संचालित कोल माइंस थे। वहीं वैश्विक तेल की कीमतों में आई तेज गिरावट ने तेल और गैस अन्वेषण करने वाली कंपनी केर्यन इंडिया को प्रभावित किया। वहीं रियल एस्टेट की दिग्गज कंपनी डीएलएफ के शेयरों में भी बीते साल 43 फीसदी की गिरावट देखने को मिली।