नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने चेतावनी देते हुए कहा कि जिन लोगों ने विदेशों में जमा काले धन के बारे में अनुपालन समयसीमा के भीतर घोषणा नहीं की है, उन्हें इसका परिणाम भुगतना होगा क्योंकि सरकार को सूचना के स्वत: आदान-प्रदान के जरिए उनकी संपत्ति के बारे में सूचना मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि जिन्होंने योजना का लाभ उठाया है, अब वे आराम से सो सकते हैं।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने भाषण में जिस 6,500 करोड़ रुपए के काले धन का जिक्र किया, वह लीकटेंस्टाइन के एलजीटी बैंक तथा जिनीवा स्थित एसएसबीसी के खाताधारकों से जुड़ा अवैध धन है। वहीं अनुपालन समयसीमा के तहत कुल 3,770 करोड़ रुपए के कालेधन के बारे में जानकारी सामने आई। जेटली ने कहा कि सरकार की नीति कर ढांचों को युक्तिसंगत बनाना, कम कमाई करने वाले लोगों के हाथों में और धन पहुंचाना, समाज के हर तबकों द्वारा प्लास्टिक मनी के उपयोग को बढ़ावा एवं प्रोत्साहन देना और और उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करना है जो निरंतर अघोषित आय का उपयोग कर रहे हैं।
काले धन का बड़ा हिस्सा देश में ही-
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि कालाधन की समस्या पर अंकुश लगाने के मकसद से बड़ी राशि के नकद लेन-देन का पता लगाने के लिए कर विभाग की क्षमता बढ़ाई जा रही है। उन्होंने कहा कि कालेधन का एक बड़ी राशि देश में ही रहती है।
बड़े नकदी लेन-देन में पैन कार्ड की अनिवार्यता-
जेटली ने फेसबुक पर अपनी एक ताजा टिप्पणी में कहा, अगर सौदों में नकद लेन-देन एक निश्चित सीमा से अधिक होता है तो (उसमें) पैन कार्ड का ब्योरा देने को अनिवार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि आयकर विभाग की निगरानी व्यवस्था को मजबूत बनाया गया है और सूचना प्राप्त करने तथा कर चोरी का पता लगाने के लिये प्रौद्योगिकी आधारित विश्लेषणात्मक उपकरण के उपयोग की उसकी क्षमता बढ़ाई गई है। जीएसटी का लागू होना इस दिखा में एक बड़ा कदम होगा।