स्टॉकहोम: प्रिंसटन यूनिवर्सिटी के अर्थशास्त्री एंगस डीटॉन को उपभोग पर व्यापक काम के लिए इस साल अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिया जाएगा। डीटॉन के इस शोध कार्य से विशेषकर भारत सहित दुनिया भर में गरीबी को आंकने के तरीके को नए सिरे से तय करने में मदद मिली है। पुरस्कार देने वाली संस्था रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने सोमवार को यह घोषणा की। एकेडमी ने कहा है कि उनका काम मानव कल्याण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
पुरस्कार समिति के सचिव तोरस्टेन परसॉन ने कहा कि डीटॉन के अनुसंधान ने अन्य अनुसंधानकर्ताओं व विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों को बताया कि मूल बुनियादी स्तर पर गरीबी को किस तरह से समझा जाए। यह संभवत: उनका सबसे अच्छा व सबसे महत्वपूर्ण योगदान है। परसॉन के अनुसार डीटॉन का काम यह दिखाता है कि व्यक्तिगत व्यवहार किस तरह से व्यापक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करता है।
डीटॉन का जन्म एडिनबरा, स्कॉटलैंड में हुआ। उनके पास अमेरिका व ब्रिटेन की दोहरी नागरिकता है। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि पुरस्कार समिति ने दुनिया में गरीबों की चिंता करने वाले काम को सम्मानित करने का फैसला किया है। व्यक्तियों के उपभोग के निर्णय और पूरी अर्थव्यवस्था के लिए उसके परिणाम के बीच संबंधों पर जोर देने वाले उनके शोध कार्य माइक्रो इकोनॉमिक्स, मैक्रो इकोनॉमिक्स और डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स का कायाकल्प करने वाले हैं।
पुरस्कार की घोषणा के बाद संवाददाता सम्मेलन में डीटॉन ने उम्मीद जताई कि दुनिया में मौजूद अति निर्धनता या गरीबी में कमी आती रहेगी हालांकि वे अवांछित रूप से आशान्वित नहीं है। पिछले साल यह पुरस्कार ज्यां तिरोले को दिया गया था। इस पुरस्कार की शुरुआत साल 1969 में हुई थी।
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