नई दिल्ली: देश में कारें एक लीटर फ्यूल में पहले से ज्यादा माइलेज दे सकती है क्योकि सरकार ने पेट्रोल-डीजल की खपत कम करने तथा व्हीकल्स से बढ़ते प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए फ्यूल एफिशियंसी नियम की नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन के तहत देश में अब 18.2 किमी प्रतिलीटर अथवा इससे ज्यादा का माइलेज देने वाली कारें ही बिक सकेंगी। नई गाइडलाइन साल 2017 से लागू होने जा रही है।
वर्तमान माइलेज का 15 फीसदी ज्यादा
इसके बाद कारें और यूटिलिटी व्हीकल्स के लिए जारी की गई इस नई फ्यूल एफिशियंसी गाइडलाइन में पहले की तुलना में अब 15 फीसदी का इजाफा किया गया है। पुरानी गाइडलाइन के मुताबिक कार निर्माता कंपनी अभी 18.2 किलोमीटर प्रतिलीटर से कम का माइलेज देने वाली कारें बेच रही है, लेकिन अब ऎसा नहीं होगा।
2022 से 22 किमी प्रतिलीटर
नई गाइडलाइन के मुताबिक देश में बनने वाली कारों का परफॉर्मेंस बदलेगा। कुछ पुरानी कारों को बाहर किया जा सकता है। टेक्नॉलजी में बड़ा बदलाव होगा और इससे इंजनों में सुधार होगा। इसके नतीजे में देश की सड़कों पर एफिशिएंट कारें आएंगी। 2017 से कारों और यूटिलिटी व्हीकल्स के लिए जारी किया गया 18.2 किलोमीटर का औसत माइलेज केवल 2022 तक ही रहेगा। इसके बाद 2022 से औसत माइलेज बढ़कर 22 किलोमीटर प्रतिलीटर का हो जाएगा। हालांकि बसों और ट्रकों के लिए अलग से गाइडलाइन जारी की गई है।
अन्य देशों की तर्ज पर है नया नियम
सरकार ने मोटर व्हीकल्स के लिए यह नई फ्यूल एफिशियंसी गाइडलाइन कई देशों की तर्ज पर निकाला है। ये गाइडलाइंस पूरी पैसेंजर कार इंडस्ट्री के लिए अनिवार्य होंगी और इसमें पेट्रोल, डीजल, सीएनजी और एलपीजी सहित सभी ऑटो फ्यूल्स कवर होंगे। यूएस, जापान, जर्मनी तथा चीन जैसे देशों में व्हीकल्स के लिए फ्यूल एफिशियंसी गाइडलाइन जारी किए जाते हैं। इसी आधार पर वहां स्थित कार निर्माता कंपनियां अपना व्हीकल बनाकर बेचती है।