नई दिल्ली: जमीन जायदाद का विकास करने वाली कंपनियों का शीर्ष संगठन क्रेडाई ने आज कहा कि मकान की कीमतें कम करने की कोई गुंजाइश नहीं है। संगठन ने मकानों की मांग बढाने के लिये आवास श्रृण पर ब्याज दर के साथ करों में कमी करने की मांग की।
रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन की उस सलाह के एक दिन बाद क्रेडाई का यह बयान आया है जिसमें उन्होंने अनबिके मकानों के बढते स्टाक से निपटने के लिए रीयल्टी कंपनियों को कीमतें घटाने को कहा था।
कान्फेडरेशन आफ रीयल एस्टेट डेवलपर्स एसोसिएशंस आफ इंडिया (क्रेडाई) के अध्यक्ष गीतांबर आनंद ने पीटीआई भाषा से कहा, हम रीयल एस्टेट क्षेत्र में तेजी लाने को लेकर रिजर्व बैंक के गवर्नर की चिंता का सम्मान करते हैं। यह कहना बुद्धिमानी भरा होगा कि कंपनियों की तरफ से देश भर में कीमतों में उल्लेखनीय कमी पहले ही की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि, बिक्री मूल्य में और कमी का मतलब डेवलपर के जेब से पैसा खर्च होना है और यह उस उद्योग के ताबूत में अंतिम कील लगाने जैसा होगा जिसका अर्थव्यवस्था और रोजगार में काफी योगदान है।
आनंद ने कहा कि पिछले दो साल में देश भर में मकान की कीमतों में औसतन 15 से 20 प्रतिशत की कमी आयी है। वहीं कच्चे माल की लागत 15 से 20 प्रतिशत बढ़ी है। उन्होंने मांग को गति देने के लिये आवास रिण पर ब्याज दर के साथ कर में कमी करने की मांग की।