नई दिल्ली: अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के सफलतापूर्वक संपन्न होने के बाद वित्त मंत्रालय ने रविवार को 10 और 100 रुपए के स्मारक सिक्के जारी कर दिए। इसके साथ ही विशेष डाक टिकट भी जारी किए गए है।
संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत कार्यरत डाक विभाग द्वारा 5 रुपए मूल्य के स्मारक डाक टिकट जारी किए है। आपको बता दें कि सिक्के के एक तरफ अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का प्रतीक चिन्ह है और दूसरी तरफ उसका मूल्य अंकित है। इस अवसर पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, आयुष मंत्री श्रीपाद नाईक, योग गुरू बाबा रामदेव और 152 देशों के राजनयिकों के साथ बड़ी संख्या में सम्मानित लोग मौजूद थे। आज हम अपनी खबर में आपको सिक्कों से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें बताएंगे जो आपको अबतक नहीं मालूम थीं। मसलन हमारे सिक्कों पर कुछ ऐसे चिन्ह बने होते हैं जो यह तक बता देता है कि फलां सिक्का आया कहां से आए। चौंक गए न तो चलिए हम अपनी खबर में भारतीय सिक्कों से जुड़े ऐसे ही कुछ अहम राज आपको बताएंगे।
तो सबसे पहले जानिए कि भारतीय सिक्के जहां ढाले जाते हैं यानी भारत में कितनी टकसालें और मिंट हैं।
टकसाल किसे कहते हैं-
टकसाल विशेष तौर पर वह सरकारी कारखाना होता है जहां सरकार के आदेशानुसार और बाजार की मांग के अनुसार सिक्कों का निर्माण होता है।
भारत में कुल चार टकसालें हैं-
भारत में मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद और नोएडा स्थित टकसालों के पास ही सिक्कों को बनाने का अधिकार है। हमारे चमचमाते सिक्के इन्हीं टकसालों से निकलकर आम आदमियों के हाथ में आते हैं।
काफी पुरानी है हैदराबाद की टकसाल-
हैदराबाद की टकसाल का निर्माण निजाम ने साल 1903 में करवाया था। साल 1950 तक यह टकसाल भारत सरकार के अधीन आ चुकी थी।
नोएडा टकसाल में बनते हैं स्टेनलेस सिक्के-
1986 में स्थापित नोएडा की टकसाल में 1988 से ही स्टेनलेस सिक्कों का निर्माण हो रहा है।
मुंबई की टकसाल-
यह भी पुरानी टकसालों में से एक है। इसका निर्माण मुख्य तौर पर अंग्रेजों ने अपने लिए करवाया था।
कोलकाता की टकसाल-
1859 में कोलकाता की सबसे पुरानी टकसाल में सिक्कों की ढलाई का काम शुरु हो गया था।
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