पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जाति जनगणना की रिपोर्ट को विधानसभा में रखा जाएगा। इस रिपोर्ट पर सभी दलों के साथ बातचीत हो गई है। अब इसे हम विधानसभा में रखेंगे। विमर्श करने के बाद इस पर आगे की चीजें तय करेंगे। हम अभी कुछ नहीं कहेंगे। एक-एक बात को हाउस में रखेंगे।
सम्राट चौधरी के नाम पर भड़के नीतीश
वहीं जाति जनगणना के आंकड़ों पर सम्राट चौधरी द्वारा सवाल उठाए जाने पर नीतीश कुमार ने कहा-'इसका कोई मतलब है? उसके बाप को इज्जत किसने दिया? हमने दिया.. उम्र कम था उसका कौन विधायक, मंत्री बना दिया, इसके(तेजस्वी )के पिताजी ने बना दिया, रोज पार्टी बदलता है, उसका कोई मतलब है? उसकी बात क्यों करते हैं।'
2 अक्टूबर को जारी हुए आंकड़े
बता दें कि बिहार सरकार ने 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले दो अक्टूबर को अपने जाति आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी कर दिए थे। इन आंकड़ों से पता चला है कि राज्य की कुल आबादी में 63 प्रतिशत जनसंख्या अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) की है। आंकड़ों के अनुसार, राज्य की कुल जनसंख्या 13. 07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें अत्यंत पिछड़ा वर्ग (36 प्रतिशत) सबसे बड़े सामाजिक वर्ग के रूप में उभरा है, इसके बाद ओबीसी (27.13 प्रतिशत) है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि ओबीसी समूह में शामिल यादव समुदाय जनसंख्या के लिहाज से सबसे बड़ा सुमदाय है, जो प्रदेश की कुल आबादी का 14. 27 प्रतिशत है। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इसी समुदाय से आते हैं। सर्वेक्षण के अनुसार, अनुसूचित जाति यानी दलित राज्य की कुल आबादी का 19.65 प्रतिशत है, जबकि अनुसूचित जनजाति की आबादी लगभग 22 लाख (1.68 प्रतिशत) है।