Thursday, January 16, 2025
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आचार्य किशोर कुणाल को मिलेगा “पद्म विभूषण”? बिहार सरकार ने की अनुशंसा

पूर्व आईपीएस अधिकारी स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल को समाज सेवा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए “पद्म विभूषण” सम्मान देने की अनुशंसा की गई है। यह अनुशंसा बिहार सरकार की ओर से की गई है।

Reported By : Nitish Chandra Edited By : Niraj Kumar Published : Jan 16, 2025 21:48 IST, Updated : Jan 16, 2025 22:28 IST
किशोर कुणाल
Image Source : X आचार्य किशोर कुणाल

पटना: बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड (बीएसबीआरटी) के पूर्व प्रमुख और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के सेवानिवृत्त अधिकारी स्वर्गीय आचार्य किशोर कुणाल को समाज सेवा के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान के लिए “पद्म विभूषण” सम्मान देने की अनुशंसा की गई है। यह अनुशंसा बिहार सरकार की ओर से की गई है। 

पिछले महीने हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था। वे 74 साल के थे। किशोर कुणाल ने पटना के महावीर मंदिर के पुनर्निर्माण से लेकर महावीर आरोग्य संस्थान, महावीर कैंसर संस्थान, महावीर वात्सल्य अस्पताल, महावीर नेत्रालय, महावीर वरिष्ठ नागरिक अस्पताल समेत नौ चैरिटेबल अस्पतालों की स्थापना की थी। उन्होंने बिहार के पूर्वी चंपारण में विराट रामायण मंदिर के निर्माण का बीड़ा भी उठाया और 20 जून, 2023 को इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हुआ। कुणाल के प्रयास से गत 12 दिसंबर 2024 को बच्चों के इलाज के लिए देश के पहले कैंसर अस्पताल महावीर बाल कैंसर अस्पताल का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। 

आचार्य किशोर कुणाल के प्रयास से अयोध्या के अमावा राम मंदिर परिसर में पटना के महावीर मंदिर की ओर से राम रसोई और सीतामढ़ी स्थित जानकी जन्म स्थान पुनौराधाम में सीता रसोई चलायी जा रही है। 1972 बैच के सेवानिवृत्त भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी कुणाल ने मई 2001 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली थी। वह अगस्त 2001 से फरवरी 2004 तक बिहार के दरभंगा स्थित केएसडी संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। बाद में उन्होंने स्वेच्छा से पद त्याग दिया।

कुणाल 23 मई, 2006 को बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक बने और 2010 में इसके अध्यक्ष बने। उन्होंने 10 मार्च, 2016 को इस पद से इस्तीफा दे दिया। कुणाल ने 13 जून 1993 को पटना हनुमान मंदिर में एक दलित पुजारी नियुक्त किया था। उन्होंने बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के प्रशासक के रूप में बिहटा, पालीगंज, बोधगया, हाजीपुर, मुजफ्फरपुर, बेगुसराय और अन्य स्थानों पर कई प्रमुख मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति की । कुणाल ने बिहार के सभी मंदिरों में दलित न्यासियों की नियुक्ति की और उन्हें बड़े पैमाने पर मंदिर के मामलों के प्रबंधन से जोड़ा।

 

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