यूट्यूबर मनीष कश्यप भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुके हैं। सूत्रों के अनुसार उन्हें जल्द ही पार्टी में नई जिम्मेदारी दी जा सकती है। चर्चा थी कि मनीष कश्यप पश्चिम चंपारण लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, लेकिन अब उन्होंने ऐसा नहीं करने का फैसला किया है। वह पहले भी निर्दलीय चुनाव लड़ चुके हैं, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। जेल में नौ महीने तक रहने वाले मनीष के यूट्यूब पर 90 लाख के करीब सब्सक्राइबर हैं। यहां हम बता रहे हैं कि आखिर मनीष कश्यप हैं कौन।
मनीष कश्यप का असली नाम त्रिपुरारी तिवारी है। उनकी पहचान एक यूट्यूबर और समाजसेवी की है। वह अक्सर बिहार से जुड़े विषयों पर वीडियो बनाते हैं और उनके वीडियो हिंदी भाषी क्षेत्रों में काफी पसंद किए जाते हैं।
पश्चिम चंपारण से है नाता
मनीष कश्यप का जन्म 9 मार्च 1991 को पश्चिम चंपारण जिले में हुआ। पुणे से इंजनीरिंग करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक नौकरी की। इसके बाद बिहार के स्थानीय मुद्दों को सोशल मीडिया पर शेयर करने लगे और धीर-धीरे उनका यूट्यूब चैनल बड़ा होता गया। सच तक नाम का उनका चैनल सबसे ज्यादा तब चर्चा में आया, जब उन्होंने मारपीट का एक वीडियो शेयर किया। कश्यप ने लिखा कि तमिलनाडु में बिहार के मजदूरों के साथ मारपीट की जा रही है।
वीडियो से पहले मुश्किल फिर मदद
वायरल वीडियो के चलते मनीष कश्यप मुश्किल में फंस गए। तमिलनाडु पुलिस ने उनके वीडियो को पूरी तरह से फर्जी बताया। बिहार के बेतियाा में उनके खिलाफ सात मामले दर्ज हुए और तमिलनाडु में भी कई मामले दर्ज किए गए। मनीष के खिलाफ बीजेपी विधायक के साथ मारपीट का भी केस दर्ज हुआ। इसके बाद वह छिप गए। पुलिस ने उनके घर की कर्की शुरू की तो उन्होंने सरेंडर किया और नौ महीने तक जेल में रहे।
जेल से बाहर आने के बाद चर्चा में आए
नौ महीने तक जेल में रहने के बाद मनीष कश्यप बाहर आए तो वह काफी चर्चित हो चुके थे। उनके यूट्यूब चैनल के सबस्क्राइबर भी बढ़ गए थे। उनके कुल सबस्काइबर्स की संख्या 87.5 लाख के करीब है। इसी लोकप्रियता की वजह से उन्हें बीजेपी में शामिल किया गया है। दिलचस्प बात यह है कि जिस विधायक के साथ मारपीट के मामले में वह जेल गए थे, अब उसी के साथ काम करते दिखेंगे।
सेना से नाता, लेकिन लगा था NSA
मनीष के पिता भारतीय सेना का हिस्सा हैं, लेकिन तमिलनाडु पुलिस ने उनके खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के उल्लंघन का आरोप लगाया। मनीष ने इसके खिलाफ कोर्ट में अपील की और कोर्ठ ने उन्हें राहत भी दे दी। इस, तरह मनीष को तमिसलनाडु जेल नहीं जाना पड़ा।
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