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बिहार के दो टीचर्स को 'राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024' से किया जाएगा सम्मानित, इनके नाम है ये उपलब्धि

बिहार के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है। इन्हें दिल्ली के विज्ञान भवन में शिक्षक दिवस के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सम्मानित किया जाएगा।

Edited By: Malaika Imam @MalaikaImam1
Published : Sep 01, 2024 14:03 IST, Updated : Sep 01, 2024 14:03 IST
बिहार के दो शिक्षक को राष्ट्रपित द्वारा किया जाएगा सम्मानित
Image Source : PTI बिहार के दो शिक्षक को राष्ट्रपित द्वारा किया जाएगा सम्मानित

केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय द्वारा बिहार के दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2024 के लिए चुना गया है। कैमूर जिले के तरहानी न्यू प्राइमरी स्कूल के प्रभारी प्रधानाध्यापक सिकंदर कुमार सुमन और मधुबनी जिले के शिव गंगा गर्ल्स हाई स्कूल की शिक्षिका डॉ. मीनाक्षी कुमारी को दिल्ली के विज्ञान भवन में शिक्षक दिवस के मौके पर 5 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा सम्मानित किया जाएगा। यह पुरस्कार शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए शिक्षकों को दिया जाता है। कुल मिलाकर देश भर से 50 शिक्षकों को इस प्रतिष्ठित पुरस्कार सम्मानित किया जाएगा। उन्हें 50,000 रुपये का नकद पुरस्कार, एक रजत पदक और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।

2012 में प्रधानाध्यापक बने 

कैमूर के कुदरा ब्लॉक में एक अनुसूचित जाति (एससी) परिवार में जन्मे सिकंदर को 2007 में एक पंचायत शिक्षक के रूप में संविदा के आधार पर नियुक्त किया गया था और 2012 में प्रधानाध्यापक के पद तक पहुंचे। उन्हें दक्षिण बिहार के सुदूर और अविकसित गांव में एक सरकारी प्राथमिक विद्यालय में लोगों के वित्त पोषण से आईसीटी शिक्षा और संरचनात्मक विकास का श्रेय दिया जाता है। उनके डिजिटल चिड़ियाघर, वर्चुअल वर्ल्ड टूर और टॉकिंग बुक्स कार्यक्रम बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय हैं।

डॉ. मीनाक्षी की लोकप्रियता

वहीं, डॉ. मीनाक्षी छात्राओं के लिए अपने अभियान "खुद पढ़ो और दूसरों को पढ़ाओ" के लिए मशहूर रही हैं। वह क्षेत्र में लड़कियों और महिलाओं को सैनिटरी पैड और नैपकिन के उपयोग के बारे में शिक्षित करने के अलावा, महिलाओं में आत्मनिर्भरता के विचार के साथ दहेज प्रथा, बाल विवाह आदि के बारे में भी जागरूकता फैलाती हैं। रसायन विज्ञान के प्रोफेसर डॉ. महेश चंद्र चौधरी की सबसे बड़ी बेटी के रूप में जन्मी मीनाक्षी हमेशा समाज के लिए कुछ विशेष करने का सपना देखती थीं और उन्होंने अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक बच्चों को स्कूलों में वापस लाने के लिए अनुकरणीय प्रयास किए हैं।

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