Sunday, September 29, 2024
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नीतीश सरकार के खिलाफ तेजस्वी ने खोला मोर्चा, स्मार्ट मीटर के मुद्दे पर की सवालों की बौछार, कहा-हर बिहारी त्रस्त है

तेजस्वी का कहना है कि देशभर में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य में बिजली दरों को दोगुना कर स्मार्ट मीटर लगाया गया और सबसे ज्यादा कीमत पर बिजली बेची जा रही है। इस सरकारी लूट से हर बिहारवाली त्रस्त है।

Edited By: Niraj Kumar @nirajkavikumar1
Updated on: September 29, 2024 16:42 IST
Tejashwi yadav, RJD- India TV Hindi
Image Source : PTI तेजस्वी यादव, आरजेडी नेता

पटना: बिहार में इन दिनों स्मार्ट मीटर का मुद्दा गरमाया हुआ है। अब नेता विपक्ष तेजस्वी यादव ने इस मद्दे पर नीतीश कुमार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उन्होंने सरकार पर सवालों की बौछार कर दी है और जवाब मांगा है। तेजस्वी ने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में अपने सवाल रखते हुए नीतीश सरकार से जवाब देने को कहा है।

उन्होंने लिखा कि देशभर में सबसे कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्य में  बिजली दरों को दोगुना कर  स्मार्ट मीटर लगा, सबसे महंगी बिजली बेच नीतीश-भाजपा सरकार बिहारवासियों पर अत्याचार कर रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर हो रही सरकारी लूट से हर बिहारवासी त्रस्त है।

तेजस्वी के सवाल

  1. लगभग शत-प्रतिशत उपभोक्ताओं का ऐसा क्यों मानना है कि स्मार्ट मीटर लगने के बाद उनका बिजली बिल दोगुना या डेढ़ गुणा बढ़ा है? पूरे बिहार से शिकायतें आ रही हैं कि बिजली का बिल डबल हो गया है। सरकार बताए कि ऐसा क्यों हो रहा है?
  2. स्मार्ट मीटर में गड़बड़ी होने के कारण अगर यह मान लिया जाए कि हर घर से केवल ₹100 का ही फर्जीवाड़ा हो रहा है तो नीतीश सरकार बिहार भर के उपभोक्ताओं से हर महीने हजारों करोड़ रुपए की अवैध राशि वसूल रही है।
  3. स्मार्ट मीटर मुद्दा हर घर से जुड़ा हुआ है और हर घर से स्मार्ट मीटर के विरुद्ध आवाज आ रही है। स्मार्ट मीटर के नाम पर बिजली कंपनियों, अधिकारियों और सत्तारूढ़ नेताओं की जो मिलीभगत है उसे तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।
  4. बिहार इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन और सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के ग़ज़ट में स्मार्ट मीटर लगाने की कोई बाध्यता नहीं है तो फिर सरकार किसके फ़ायदे के लिए ऐसा कर रही है?
  5. बिहार का इलेक्ट्रिसिटी इंफ्रास्ट्रक्चर आउटडेटेड है। उपभोक्ता कहता है कि मीटर फास्ट है, सरकार कह रही है कि मीटर फास्ट नहीं है तो यह निर्णय कौन करेगा कि मीटर तेज है या नहीं? गड़बड़ी करने वाला विभाग ख़ुद ही कह रहा है कि सब ठीक है। हमारी मांग है कि इस मुद्दे के निपटारे के लिए कोई निष्पक्ष कमेटी होनी चाहिए।
  6. बिहार में 2 करोड़ बिजली उपभोक्ता हैं इसमें से केवल 50 लाख उपभोक्ताओं ने ही स्मार्ट मीटर लगवाया है। नए मीटर लगाने से पूर्व सरकार को पहले वर्तमान 50 लाख उपभोक्ताओं की शंकाओं, संदेहों को दूर कर उन्हें संतुष्ट करना चाहिए।
  7. सरकार की बिजली कंपनियों के साथ क्या सांठ-गांठ है? क्या मीटर का Calibration (मापांकन) गलत नहीं हो सकता है? 
  8. क्या बिजली मंत्री के सुपौल घर में स्मार्ट मीटर है? है तो कब लगा? कितने माननीय और अधिकारियों के सरकारी तथा व्यक्तिगत आवास पर स्मार्ट मीटर लगा है?
  9. पिछले 20 वर्षों में तीन बार मीटर बदला जा चुका है, हर बार मीटर बदलने की जरूरत क्यों पड़ी? क्या मीटर वाली कंपनियां, बिल वसूलने वाली एजेंसियां, सत्तारूढ़ जदयू नेताओं तथा अधिकारियों के बीच कोई कमर्शियल रिश्ता है?
  10. स्मार्ट मीटर के इंस्टालेशन का जो चार्ज है वह बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं से पहले के दो या तीन महीने में वसूलती हैं लेकिन बताती क्यों नहीं है? 200₹ के मीटर पर उपभोक्ताओं से मीटर की कुल कितनी लागत वसूली जाती है?
  11. अगर तथाकथित स्मार्ट मीटर सचमुच स्मार्ट है तो इसका यूजर इंटरफेस और सिस्टम इतना धीमा और खराब क्यों है कि हर जगह असमंजस, परेशानी, जानकारी का अभाव और पैसों का इधर-उधर हो जाना होता है? और इस परेशानी के कारण और अधिक वसूली तथा भ्रष्टाचार होता है।
  12. प्रीपेड स्मार्ट मीटर के इंटरफेस और सिस्टम में इतनी गड़बड़ और खराबी क्यों है कि पब्लिक को मालूम ही नहीं पड़ता है कि उनका पैसा कहां चला गया? कितना पैसा बचा हुआ है, बिजली उपभोक्ताओं को यह भी पता नहीं चलता कि उनकी राशि कहां कट रही है और क्यों कट रही है और किस दर से कट रही है? 
  13. उपभोक्ताओं को पैसे के लिए तो मैसेज आता है लेकिन जब पैसा जमा किया जाता है तब पैसा मिला या नहीं इसका कोई मैसेज नहीं आता है। कब बिजली कनेक्शन कटने वाला है या कितनी कम राशि बची हुई है इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है? पैसा आ गया है जल्दी ही बिजली वापस आ जाएगा इसका भी कोई मैसेज नहीं आता है। नया रिचार्ज हुआ है या नहीं हुआ है, हुआ है तो पुन: बिजली शुरू होने में घंटों क्यों लगते है? कुछ भी रियल टाइम अपडेट नहीं होता है और पूछताछ करने पर कोई यह बताता ही नहीं है और ना ही किसी के बिल में यह बात स्पष्ट जाहिर होती है। इन सब कारणों से उपभोक्ता हमेशा परेशान ही रहता है।

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