Sushil Kumar Modi Demise: बिहार में भारतीय जनता पार्टी के सबसे बड़े नेता और राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी का निधन हो चुका है। उन्होंने दिल्ली AIIMS में 72 साल की उम्र में आखिरी सांस ली। 5 जनवरी 1952 को जन्मे सुशील मोदी का स्वभाव उनके नाम के अनुरूप ही था। वह भले ही जेपी आंदोलन से निकलने वाले नेताओं में से एक रहे, लेकिन 90 के दशक के बाद शायद ही कभी उन्होंने कोई आक्रामक भाषण दिया हो।
सुशील मोदी बिहार में 70 के दशक के जेपी आंदोलन से राजनीति में आए थे। इसके बाद RSS से जुड़े रहे। उनकी छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में हुई थी। 1990 में सुशील ने विधानसभा पहुंचे। उन्होंने लालू यादव और नीतीश कुमार के साथ ही राजनीति में कदम रखा, लेकिन इन दोनों के बराबर रुतबा नहीं हासिल कर सके। इसकी बड़ी वजह उनका संतोषी स्वभाव था। अगर पार्टी उन्हें कोई जिम्मेदारी नहीं देती थी तो उसे भी वह सहर्ष स्वीकार करते थे।
राजनीति में नहीं आते तो क्या करते
सुशील मोदी खुद कहा करते थे कि अगर वह राजनीति में नहीं आते तो पत्रकार होते। उन्हें लिखना काफी पसंद था। उन्हें अर्थशास्त्र की भी गहरी समझ थी और कई लोगों का मानना है कि वह देश के वित्त मंत्री बनने की क्षमता रखते थे। हालांकि, वह बिहार के वित्त मंत्री बनकर ही रह गए। वह अखबारों में अक्सर कॉलम लिखते थे। उनके कॉलम में देश की परेशानियों और आर्थिक समस्यों के समाधान की झलक दिखती थी। बीजेपी ने उन्हें चारों सदनों का सदस्य बनाया। वह चुनाव जीतकर विधानसभा और लोकसभा पहुंचे। वहीं, पार्टी ने उन्हें विधान परिषद और राज्यसभा का सदस्य बनाया।
कैसा रहा सियासी सफर
1973: लालू पटना विश्वविद्यालय के अध्यक्ष बने। सुशील मोदी महासचिव बने। आपातकाल के दौरान वो 19 महीने जेल में रहे।
1983-86: अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में कई पदों पर रहने के बाद 1983 में इसके महासचिव बने।
1990: बिहार विधानसभा का चुनाव लड़े और जीते।
1996-2004: बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता रहे।
2004: भागलपुर से सांसद बने।
2005: बिहार में एनडीए सत्ता में आई और सुशील सांसद पद छोड़ उप मुख्यमंत्री बने। 2010 में दोबारा राज्य में एनडीए सरकार बनी और सुशील उप मुख्यमंत्री बने रहे।
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