सुप्रीम कोर्ट ने 1995 के दोहरे हत्याकांड मामले में बिहार से पूर्व लोकसभा सदस्य प्रभुनाथ सिंह को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। कोर्ट उन्हें पहले दोषी करार दे चुका था। न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता में शीर्ष अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने 18 अगस्त को सिंह को हत्या के मामले में बरी करने के निचली अदालत और पटना हाई कोर्ट के फैसलों को पलटते हुए सिंह को दोषी करार दिया था।
"सबूतों को मिटाने के किए गए प्रयास"
न्यायमूर्ति संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने सजा के लिए दलीलों पर सुनवाई के बाद दोषी सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई। पीठ ने कहा कि आदेश की विस्तृत जानकारी शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड कर दी जाएगी। यह मामला बिहार के सारण जिले के छपरा में मार्च 1995 में विधानसभा चुनाव के दौरान मतदान के दिन दो लोगों की हत्या से जुड़ा है।
पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख देने का आदेश
बिहार के महाराजगंज लोकसभा सीट से कई बार सांसद रह चुके प्रभुनाथ सिंह को दोषी करार देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इसमें जरा भी संदेह नहीं है कि सिंह ने अपने खिलाफ सबूतों को मिटाने के लिए किए गए हरसंभव प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उम्रकैद की सजा के अलावा शीर्ष अदालत ने पीड़ित परिवारों को 10-10 लाख रुपये देने का भी फैसला सुनाया है। ये मुआवजा प्रभुनाथ सिंह के साथ राज्य सरकार को भी देना है।
क्या है मामला?
प्रभुनाथ सिंह महाराजगंज सीट से तीन बार जदयू और एक बार आरजेडी के टिकट पर सांसद रह चुके हैं। सिंह पर 1995 में मसरख के एक मतदान केंद्र के पास तब 47 साल के दारोगा राय और 18 साल के राजेंद्र राय की हत्या का आरोप है। आरोप था कि दोनों ने प्रभुनाथ सिंह समर्थित उम्मीदवार को वोट नहीं किया था, इसलिए दोनों की हत्या कर दी गई।
हाई कोर्ट के फैसले को दी गई थी चुनौती
मृतक के भाई की ओर से गवाहों को धमकाने की शिकायत के बाद इस केस को छपरा से पटना ट्रांसफर कर दिया गया, जहां इसका ट्रायल हुआ था। कोर्ट ने सबूतों के आभाव में प्रभुनाथ सिंह को बरी कर दिया था। पटना हाई कोर्ट ने 2012 में निचली अदालत के फैसले को सही ठहराया था। इसके बाद मृतक राजेंद्र राय के भाई हरेंद्र ने दोनों फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
जेल में प्रभुनाथ सिंह, आरजेडी में हुए थे शामिल
प्रभुनाथ सिंह इस वक्त 1995 के ही एक मर्डर केस में सजा काट रहे हैं। मसरख के विधायक अशोक सिंह की 1995 में हत्या हो गई थी, जिन्होंने चुनाव में प्रभुनाथ सिंह को हराया था। चुनाव में मिली हार के बाद प्रभुनाथ सिंह ने कथित तौर पर कहा था कि तीन महीने के अंदर अशोक सिंह को मार देंगे। अशोक सिंह की हत्या उनके घर पर दिनदहाड़े कर दी गई थी। इस केस में 2017 में प्रभुनाथ सिंह को दोषी ठहराया गया था। वे इस समय जेल में सजा काट रहे हैं। राजनीति में प्रभुनाथ सिंह पहले आनंद मोहन के साथ थे, लेकिन बाद में नीतीश कुमार के साथ आ गए। नीतीश से विवाद के बाद 2010 में प्रभुनाथ सिंह, लालू प्रसाद यादव की पार्टी आरजेडी में शामिल हो गए थे।