स्वास्थ्य में सुधार के लाख दावे बिहार सरकार कर ले, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ अलग ही कहानी कह रही है। ताजा मामला रोहतास जिले के करगहर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है, जहां मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। एक प्रसूता को हीमोग्लोबिन की कमी होने के कारण डॉक्टर ने सदर अस्पताल रेफर कर दिया और अस्पताल से बाहर निकाल दिया। इसके बाद महिला अस्पताल के बाहर एक पेड़ के नीचे चली गई, जहां उसका प्रसव हो गया। प्रसव के दौरान बच्चे की मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना से काफी लोग मर्माहत हैं।
पैसे का इंतजाम करने गया था पति
बताया जाता है कि सिरसिया गांव की एक दलित महिला प्रसव के लिए करगहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची थी, लेकिन शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी होने के कारण अस्पताल के डॉक्टर ने उसे सासाराम सदर अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन, वह सदर अस्पताल न जाकर वह पेड़ के नीचे बैठ गई। महिला के पति का कहना है कि वह पैसे लाने गांव गया था। इसी दौरान अस्पताल प्रशासन द्वारा उसकी पत्नी को बाहर निकाल दिया गया, जहां पेड़ के नीचे ही महिला का प्रसव हो गया।
पत्नी और मृत बच्चे को ठेले पर घर ले गया पति
इलाज के अभाव में बच्चे की मौत हो गई। उससे भी दुखद यह हुआ कि बच्चे की मौत के बाद पति अपनी पत्नी एवं मृत बच्चे को ठेले पर उठाकर अपने घर ले गया। डिलीवरी के बाद प्रसूता को उसके घर तक जाने के लिए भी वाहन नहीं दिया गया। ऐसी स्थिति में दुखी पति बबुआ मुसहर अपनी पत्नी तथा मृत्यु नवजात को ठेले पर ही लेकर वापस रोते बिलखते गांव लौट गया।
क्या कह रहा अस्पताल प्रशासन?
चिकित्सा केंद्र के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ अनिल कुमार सिंह से जब इस बाबत सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि महिला कि जब जांच की गई तो हीमोग्लोबिन कम पाया गया। ऐसी स्थिति में उसे बेहतर चिकित्सा के लिए सदर अस्पताल सासाराम रेफर किया गया। अब किस परिस्थिति में महिला वहां नहीं गई, इसकी उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने महिला को अस्पताल से बाहर निकाले जाने से इनकार किया। (IANS)
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