पटना: लालू प्रसाद यादव की पार्टी राजद के एक विधायक ने एक विवादित बयान देकर फिर से राजनीति गर्म कर दी है। राजद विधायक फतेह बहादुर सिंह ने मीडिया से बात करते हुए रामायण के सभी पात्रों को काल्पनिक बताया है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 1976 में आदेश दिया था कि रामायण और रामायण के सभी पात्र काल्पनिक हैं। उन्होंने कहा कि अयोध्या में जहां राम मंदिर बन रहा है, उससे देश का कौन सा विकास करना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वहां जो मंदिर बन रहा है उस मंदिर से सिर्फ पाखंडी और मनुवादी समाज का ही विकास हो सकता है। उस मंदिर से रोजगार किसको मिलेगा।
अयोध्या के अस्तित्व को नकारा
विधायक फतेह बहादुर सिंह ने अयोध्या के अस्तित्व को ही नकारते हुए आगे कहा कि वह जगह साकेत थी, अयोध्या वहां थी ही नहीं। उन्होंने कहा कि साकेत गौतम बुद्ध और सम्राट अशोक की धरती है। साकेत की धरती पर विश्वविद्यालय, कॉलेज और अस्पताल बनने चाहिए थे। वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा राममंदिर निर्माण को लेकर सुनाए गए फैसले को लेकर पूछे गए सवाल पर फतेह बहादुर सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदेश पढ़िए। यहां राम मंदिर का कोई तथ्य नहीं है लेकिन भारतवासियों की आस्था को देखते हुए यह आदेश दे दिया था।
मनुवादी लोग करते हैं अंधविश्वास की बात
वहीं जेडीयू प्रवक्ता नीरज कुमार द्वारा फतेह बहादुर सिंह को कायर बहादुर कहे जाने पर उन्होंने कहा कि जो मनुवादी लोग हैं वो चाहे जहां भी हैं सिर्फ अंधविश्वास की बात करेंगे। वहीं जो समाजवादी विचारधारा के लोग हैं वो जहां भी हैं समाजवाद और शिक्षा की बात करेंगे। मैं भी शिक्षा की बात कर रहा हूं। आगे उन्होंने तेजस्वी यादव के बयान का हवाला देते हुए कहा कि तेजस्वी यादव का आप लोग बयान सुने हैं। वो तलवार बांटते हैं और हम शिक्षा बांटते हैं। तो हम लोग कलम बांटने का काम कर रहे हैं।
कार्यकर्ता ने दी नसीहत तो हटाया पीछे
विधायक फतेह बहादुर सिंह मीडिया से बात कर रहे थे, इसी बीच पार्टी के एक कार्यकर्ता ने उन्हें आस्था से जुड़े मामलों पर ना बोलने की नसीहत दे डाली। इसपर विधायक जी गुस्सा हो गए। विधायक जी ने कार्यकर्ता से पूछ डाला कि आप हैं कौन? कार्यकर्ता ने जब कहा कि मैं पार्टी का कार्यकर्ता हूं तो विधायक जी ने जवाब दिया कि आप पार्टी के कार्यकर्ता नहीं हैं। इसके बाद कार्यकर्ता भोला यादव को वहां से पीछे हटा दिया गया। विधायक फतेह बहादुर सिंह यहां भी नहीं रुके। उन्होंने कहा कि धर्म ग्रंथों में हिंदू शब्द का जिक्र ही नहीं है। हमें हिंदू नहीं कहा गया है, हमें शूद्र कहा गया है। उन्होंने कहा कि हम हिन्दू हैं ही नहीं।
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