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RJD ने अपने समर्थकों से कहा- किसानों के समर्थन में सड़कों पर उतरें, कानूनों का विरोध करें

विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने नए केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने का फैसला किया है।

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published on: December 01, 2020 21:54 IST
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Image Source : PTI FILE विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल ने नए केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने का फैसला किया है।

पटना: विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने नए केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करने का फैसला किया है। पार्टी के बिहार अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने कहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन एक स्वाभाविक कार्य है। सिंह ने कहा, ‘हमने राजद सदस्यों और समर्थकों से अपने देश के किसानों का समर्थन करने के लिए सड़कों पर उतरने की अपील की है। वे कानूनों का विरोध करेंगे। हमारी पार्टी इस साल सितंबर में पारित किए गए नए विधेयकों के खिलाफ है।’

‘केंद्र को स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करनी चाहिए’

RJD नेता ने कहा कि हमने कानूनों को वापस लेने और किसानों के लिए MSP से ऊपर की कीमतों की गारंटी की मांग की है। उन्होंने कहा कि केंद्र को किसानों की सुविधा के लिए स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू करनी चाहिए। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में किसानों और मजदूरों की दयनीय स्थिति के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं। उन्होंने कहा, ‘नीतीश कुमार ने 2006 में कृषि उपज मंडी समिति को समाप्त कर दिया। बिहार के किसान इससे बुरी तरह प्रभावित हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो बिहार के किसान समृद्ध होते। नरेंद्र मोदी सरकार का यह कृत्य किसानों को कॉर्पोरेट्स का गुलाम बनने के लिए मजबूर करेगा। यह हमारे देश में कृषि की संरचना को नष्ट कर देगा।’

मंगलवार को हुई बैठक में नहीं निकला नतीजा
इस बीच सरकार ने मंगलवार को नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों की मांगों पर गौर करने के लिए एक समिति गठित करने की पेशकश की। सरकार के इस प्रस्ताव पर आंदोलनरत 35 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की ओर से ठंडी प्रतिक्रिया मिली। किसान संगठन तीनों नये कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं। तीन केन्द्रीय मंत्रियों और किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के बीच मंगलवार को हुई बैठक में केन्द्र की ओर से यह प्रस्ताव रखा गया। सूत्रों ने कहा कि किसान प्रतिनिधियों के साथ दो घंटे चली बैठक में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों की एक राय थी कि तीनों नये कृषि कानूनों को निरस्त किया जाना चाहिये।

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