Highlights
- पारिवारिक समारोह से वापस लौट रहे थे मंत्री नितिन नवीन
- अचानक कार को हजारों लोगों ने घेर लिया, ड्राइवर की सूझ-बूझ से निकल पाए
- हिंसा को रोकने में झारखंड पुलिस प्रशासन रहा नाकाम: मंत्री
Ranchi Violence: पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी से उग्र हुए मुस्लिम प्रदर्शनकारियों ने देश के कई शहरों में प्रदर्शन और उपद्रव किया। रांची की हिंसा के दौरान प्रदर्शनकारियों के बिहार के एक मंत्री भी फंस गए थे। बिहार वापस आए तब उन्होंने आपबीती सुनाई।
पारिवारिक समारोह से वापस लौट रहे थे मंत्री नितिन नवीन
झारखंड की राजधानी रांची में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हिंसक प्रदर्शन हुए। इस दौरान अपनी कार पर हुए हमले के बाद बिहार के मंत्री नितिन नवीन बाल—बाल बच गए। बीजेपी नेता नवीन झारखंड में एक पारिवारिक समारोह में शरीक होने गए थे। लेकिन नूपुर शर्मा और नवीन कुमार जिंदल के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शन की जद में आ गए।
खुद उन्होंने मीडिया से चर्चा में यह बात कही। उन्होंने बताया कि ‘हमलोग अपने होटल में थे, तभी हमने सुना कि शुक्रवार की नमाज के बाद प्रदर्शन हो रहे हैं। दोपहर तीन बजे के बाद हमें पता चला कि स्थिति नियंत्रण में है, तो हम घर लौटने के उद्देश्य से वहां से निकल गए।’
अचानक कार को हजारों लोगों ने घेर लिया, ड्राइवर की सूझ-बूझ से निकल पाए
माजरा बताते हुए उन्होंने कहा कि जब उनकी कार मेन रोड से जा रही थी। तभी अचानक हजारों लोग उनकी सामने आ गए और उनकी कार को चारों ओर से घेर लिया। अपनी क्षतिग्रस्त कार जिसके शीशे टूटे हुए थे, उस ओर इशारा करते नवीन ने कहा कि वह ‘केवल भगवान की कृपा से’ वे बच सके। उन्होंने बताया कि उनके ड्राइवर ने सूझ-बूझ दिखाई तभी वे वहां से निकल पाए। नितिन ने बताया कि उनकी सफेद पोशाख और कुछ लोग उनका चेहरा देखकर उन्हें पहचान गए कि ये मंत्रीजी हैं। लेकिन उन्हें मदद तब मिली जब उन्होंने पुलिस महानिदेश को फोन किया। उन्होंने बिहार में प्रवेश करने तक हमें सुरक्षा देने के लिए दो सुरक्षाकर्मी भेजे।
हिंसा को रोकने में झारखंड पुलिस प्रशासन रहा नाकाम: मंत्री
मंत्री नितिन ने झारखंड में उस दिन पुलिस प्रशासन की नाकामी पर खूब कोसा। और हमला बोलते हुए कहा कि इतने लोगों का एक जगह एक विशेष समय पर एकत्र हो जाना, वो भी इतनी बड़ी संख्या में, यह कहीं न कहीं एक सुनियोजिश साजिश थी। इतनी भीड़ इकट्ठा हो गई, लेकिन किसी को भी कानून का डर नहीं था।