सासाराम: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को कहा कि देश तेजी से तरक्की कर रहा है और यह आजादी के 100 साल पूरे होने तक एक विकसित राष्ट्र बनने वाला है। बिहार के रोहतास जिले में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए सिंह ने यह भी कहा कि देश की सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ाव बढ़ता जा रहा है और विदेशी लोग ‘इंडिया’ की जगह अक्सर ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल कर रहे हैं। सिंह ने केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद हुए बदलाव पर बोलते हुए कहा कि 2014 में भारत विश्व की टॉप 10 अर्थव्यवस्थाओं की लिस्ट में सबसे निचले स्थान पर था, लेकिन अब यह टॉप 5 में आ गया है।
‘विदेशी भी अब हमारे देश को भारत कहते हैं’
अमेरिका के एक बहुराष्ट्रीय निवेश बैंक और वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनी मॉर्गन स्टेनले की एक हालिया रिपोर्ट का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, ‘वैश्विक वित्तीय विश्लेषकों का मानना है कि हम 2027 तक शीर्ष तीन देशों में शामिल होंगे। 2047 में देश की आजादी का शताब्दी समारोह मनाने तक हमें अब एक विकसित राष्ट्र बनने का संकल्प लेना चाहिए। विश्व में हमारा सम्मान बढ़ रहा है। मुझे पता चला है कि विदेशी अब हमारे देश को इंडिया के बजाय भारत कहने को प्राथमिकता देते हैं। यह बताता है कि हमारे सांस्कृतिक धरोहर में गौरव की बढ़ती भावना आम जन और राजनीतिक वर्ग द्वारा समान रूप से प्रदर्शित की जा रही है।’
‘हमारे देश में चरित्र व्यक्ति का निर्माण करता है’
राजनाथ सिंह ने कहा, ‘स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि आपके देश में दर्जी व्यक्ति को आकार देता है। हमारे देश में चरित्र व्यक्ति का निर्माण करता है।’ उन्होंने ‘संस्कार’ के महत्व को बताते हुए अमेरिकी लेखक थॉमस फ्रेडमैन के एक आलेख का हवाला दिया और कहा कि भारत की एक प्रमुख आईटी कंपनी इंफोसिस और वैश्विक आतंकी संगठन अलकायदा, किस तरह से बहुत पढ़े लिखे नौजवानों पर निर्भर हैं। उन्होंने कहा, ‘यह संस्कार है जिसने ये सारे अंतर लाये हैं। न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर विमान से हमला करने वाले युवा कौशल प्राप्त और अत्यधिक शिक्षित थे। वहीं, दूसरी ओर, कई युवाओं ने अपने स्टार्ट-अप को बड़ी कंपनी में तब्दील कर दिया है।’
‘मैंने बूढ़े मौलवी को सड़क किनारे देखा, और…’
रक्षा मंत्री ने कहा कि छात्रों को अपने शिक्षकों की इज्जत करनी चाहिए और इससे जुड़े अपने खुद के एक अनुभव के बारे में बताते हुए कहा, ‘मुझे कभी उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री के तौर पर सेवा देने का सौभाग्य मिला था। जब मैं अपने गृह नगर जा रहा था तभी मैंने एक बूढ़े मौलवी को देखा जो सड़क किनारे खड़े थे। उनके हाथ में एक माला थी। मैंने याद किया कि यह वही व्यक्ति हैं जिन्होंने मुझे बचपन में पढ़ाया था। वह कठोरता से पेश आते थे। मैंने कार रोकी, नीचे उतरा और उनके पैर छुए।’ बता दें कि राजनाथ कुछ समय के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रहे थे। (भाषा)