गोपालगंज: आमतौर पर जेल का नाम आने के बाद आपके जेहन में खूंखार कैदियों का चेहरा सामने आ जाता होगा, लेकिन बिहार के गोपालगंज जेल की कहानी कुछ अलग दिख रही है। यहां के कैदी अब पढ़ाई पर खूब ध्यान दे रहे हैं। जेल प्रशासन भी कैदियों में सुधारात्मक प्रवृत्ति के विकास के लिए हरसंभव मदद दे रहा है। इस जेल में आज 131 कैदी ऐसे हैं जिन्होंने 10वीं और 12वीं नामांकन लिया है वहीं 17 ऐसे बंदी हैं जो स्नातक, स्नातकोत्तर सहित विभिन्न कोर्सों की पढाई कर रहे हैं। जेल प्रशासन का दावा है कि कैदियों में सुधारात्मक प्रवृत्ति के विकास के लिए बंदियों में शिक्षा के प्रसार केा प्रमुख उपागम के रूप में पहचान की गई है।
एक अधिकारी ने बताया कि बंदियों के जेल में प्रवेश के समय उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर बंदियों को साक्षरता कार्यक्रम, विभिन्न वर्गों में नामांकन और विविध सर्टिफिकेट कार्यक्रमों में जोडा जाता है। गोपालगंज के जिलाधिकारी एन के चौधरी भी मानते हैं कि यहां के कैदियों में पढ़ाई के प्रति जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने कहा, "बंदियों में पढ़ाई की रूचि का प्रमाण है कि पूरे प्रदेश में सर्वाधिक नामांकन में पहले स्थान पर चनावे स्थित गोपालगंज मंडल कारा पहुंच गया।"
उन्होंने बताया कि यहां जेल के 131 बंदी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालय शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) से 10वीं और 12वीं की शिक्षा ले रहे हैं, जो पूरे प्रदेश के जेलों में सर्वाधिक संख्या है। यहां के कैदी स्नातक, स्नात्कोत्तर और कई व्यवसायिक कोर्स की पढाई भी कर रहे हैं। एनआईओएस को यहां जेल में स्टडी सेंटर के रूप में मान्यता प्राप्त है। जिलाधिकारी भी कहते हैं कि जेल से बाहर जाने के बाद यहां के कैदी नए रोजगार की तलाश कर सकेंगे तथा समाज को नई दिशा दिखाएंगें।
उन्होंने कहा, जेल में करीब 200 कैदी पढ़ाई कर रहे हैं। जेल में दस से अधिक विषयों पर पढ़ाई करवाई जा रही है। जिसके तहत एनआईओएस और इंदिरा गांधी ओपेन यूनिवर्सिटी (इग्नू) में एडमिशन हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि इग्नू से 17 बंदी पढ़ाई कर रहे हैं, जिसमें सर्टिफिकेट इन गाइडेंस में चार, फूड एवं न्यूट्रीशन सर्टिफिकेट में चार, ऑरगेनिक फॉर्मिंग में दो, स्नातकोत्तर में एक, स्नातक में पांच और पर्यटन सर्टिफिकेट कोर्स में एक बंदी ने नामांकन लिया है।
इग्नू और एनआईओएस की ओर से नि:शुल्क सभी कोर्स रखे गए हैं। इस जेल में बंदियों को व्यवसायिक प्रशिक्षण भी दिया गया है। यहां की महिला कैदी स्वेटर बुनाई, बागवानी, अगरबत्ती निर्माण का कार्य रहीं हैं। फिलहाल 16 व्यवसायिक प्रशिक्षण देने के लिए बंदियों का चयन किया जा रहा है। इसके अलावा महिला कैदियों के साथ रहनेवाले बच्चों को भी पेंसिंल और स्लेट उपल्बध कराया गया है, जहां बच्चों को खेल-खेल में शिक्षा दी जा रही है। एक अधिकारी ने बताया कि वर्ग एक से पांच में नामांकन के लिए मान्यता प्राप्त करने के लिए जेल प्रशासन प्रयासरत है।
जेल में 'बंदियों के लिए बंदियों द्वारा कार्यक्रम' भी चलाया जाता है जिसमें साक्षर कैदियों द्वारा निरक्षर कैदियों को साक्षर बनाने की कोशिश की जाती है।