
नई दिल्ली: जन सुराज पार्टी के प्रमुख और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि बिहार में अक्टूबर या नवंबर में होने वाला आगामी चुनाव चौंकाने वाला होगा। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में कहा कि वे मानसिक और शारीरिक रूप से थक चुके हैं। नवंबर 2025 के बाद वे सीएम नहीं रहेंगे। इंडिया टुडे टीवी से खास बातचीत में प्रशांत किशोर ने ये बातें कही।
शारीरिक रूप से थक चुके, मानसिक रूप से रिटायर
प्रशांत किशोर ने कहा कि बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन चुनाव जीते या न जीते, नवंबर 2025 के बाद नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री नहीं रहेंगे। प्रशांत किशोर ने कहा, "नीतीश कुमार शारीरिक रूप से थक चुके हैं और मानसिक रूप से रिटायर हो चुके हैं। नीतीश कुमार कैमरे पर अपने मंत्रिमंडल के सदस्यों और उनके विभागों का नाम बता पाने की स्थिति में नहीं हैं। इसलिए काम करना, वोट देना और चुनाव जीतना बहुत बड़ी बात है।" उन्होंने कहा, "उनकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वे कोई बड़ा राजनीतिक प्रयास कर सकें।"
नीतीश कुमार केवल "मुखौटा"
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में एनडीए गठबंधन फिलहाल बीजेपी के रहमोकरमपर" है और नीतीश कुमार केवल "मुखौटा" बनकर रह गए हैं। प्रशांत किशोर ने कह, "जब सीटों का बंटवारा होगा तो जेडीयू 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है, लेकिन अगर 2025 में एनडीए बिहार में जीत भी जाती है तो अगले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा अपना मुख्यमंत्री खुद बनाएगी।
बिहार में बीजेपी मजबूत नहीं
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में बीजेपी इतनी मजबूत नहीं है कि वह अपने दम पर राज्य की राजनीति तय कर सके। उन्होंने कहा-“लोकसभा के बाद, 4 विधानसभा सीटों और 1 विधान परिषद सीट पर उपचुनाव हुए। 5 उपचुनावों में से एनडीए ने 4 सीटें गवां दी। मौजूदा विधायक हार गए। बिहार में, दो-तिहाई लोग बदलाव चाहते हैं, चाहे वे आरजेडी के मतदाता हों या एनडीए के।”
बिहार की राजनीति अलग, मुद्दे भी अलग हैं
उन्होंने कहा कि बीजेपी ने हरियाणा और महाराष्ट्र का चुनाव भले ही जीत लिया, लेकिन बिहार में यह उतनी बड़ी भूमिका नहीं निभा सकती। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र और हरियाणा में जीत से बीजेपी कार्यकर्ताओं का मनोबल भले ही ऊंचा हो, लेकिन बिहार की राजनीति अलग है, और इसके मुद्दे अलग हैं। यहां बीजेपी की ताकत अलग है। केवल एक बार बीजेपी ने 243 सीटों में से 150 सीटों पर चुनाव लड़ा है। आम तौर पर बीजेपी 100 से कम सीटों पर लड़ती है। प्रशांत किशोर ने कहा, "बीजेपी इतनी मजबूत नहीं है कि वह अकेले बिहार की राजनीतिक दिशा तय कर सके।"