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लालू के बिना तेजस्वी कुछ नहीं, जब से 'चाचा-भतीजा' साथ आए 3 में से 2 उपचुनाव हारे: प्रशांत किशोर

अपनी जन सुराज पदयात्रा के 69 वें दिन प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जनता के साथ सिर्फ धोखा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद के बिना तेजस्वी यादव कुछ भी नहीं हैं।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: December 09, 2022 21:32 IST
प्रशांत किशोर(फाइल फोटो)- India TV Hindi
Image Source : PTI प्रशांत किशोर(फाइल फोटो)

चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि RJD अध्यक्ष लालू प्रसाद के बिना तेजस्वी यादव कुछ भी नहीं हैं। अपनी जन सुराज पदयात्रा के 69 वें दिन प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव जनता के साथ सिर्फ धोखा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जब से ये सत्ता में आए हैं तब से तीन उपचुनाव हुए हैं, जिसमे दो में हार का सामना करना पड़ा है। एक चुनाव जीते, क्योंकि वो बाहुबली की सीट थी।

'उपचुनाव तो जीता नहीं जाता, मुझे चुनाव लड़ना क्या सिखाएंगे'

प्रशांत किशोर ने कहा कि उपचुनाव तो इनसे जीता नहीं जाता, ये मुझे चुनाव लड़ना क्या सिखाएंगे। उन्होंने कहा कि 2015 में मैंने इनकी मदद नहीं की होती तो क्या महागठबंधन को जीत हासिल होती? उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि तेजस्वी यादव को राजनीति की कितनी समझ है? 2015 में विधायक बने इससे पहले इनको कौन जानता था? बिहार की जनता ने इनको नहीं चुना है।

'पेन टूट गई या स्याही सूख गई'

तेजस्वी के पहली कैबिनेट की बैठक में 10 लाख नौकरी दिए जाने के वादे को याद कराते हुए प्रशांत किशोर ने कहा कि वे कहते थे कि सत्ता में आए तो पहली कैबिनेट में 10 लाख लोगों को नौकरी देंगे, अब क्या उनकी पेन टूट गई है या स्याही सूख गई है?

'सरकार की नाकामी के वजह से बिहार बर्बाद हो रहा'

प्रशांत किशोर ने राज्य की अर्थव्यवस्था के मुद्दे पर बात करते हुए कहा कि सरकार की नाकामी के वजह से बिहार बर्बाद हो रहा है। उन्होंने कहा कि आज बिहार के पैसों से गुजरात, महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उद्योग लगाया जा रहा है और बिहार के लोग उन राज्यों में जाकर मजदूरी कर रहे हैं।

'पिछले 10 साल से बिहार में यह आंकड़ा 25-40 प्रतिशत है'

चुनावी रणनीतिकार ने कहा कि राज्यों में पूंजी उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी बैंकों की है। उन्होंने कहा कि देश के स्तर पर क्रेडिट डिपोजिट का आंकड़ा 70 फीसदी है, और बिहार में यह आंकड़ा पिछले 10 सालों से 25-40 प्रतिशत रहा है। उन्होंने कहा कि RJD के कार्यकाल में यह आंकड़ा 20 प्रतिशत से भी नीचे था। नीतीश कुमार के 17 साल के कार्यकाल में यह औसत 35 प्रतिशत है जो पिछले साल 40 प्रतिशत था।

पीके(प्रशांत किशोर) ने कहा कि इसका मतलब है कि बिहार में जो भी पैसा बैंकों में लोग जमा करा रहे हैं, उसका केवल 40 प्रतिशत ही लोन के तौर पर लोगों के लिए उपलब्ध है। जबकि विकसित राज्यों में 80 से 90 प्रतिशत तक बैंकों में जमा राशि लोन के लिए उपलब्ध है।

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