Highlights
- तेजस्वी यादव एक नंबर और नीतीश कुमार दो नंबर के नेता हो गए हैं
- बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है
- नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हमेशा से रही हैं
Bihar Political Drama: बिहार की राजनीति में मौसम ने तेजी से करवट ले ली है। राज्य के कई हिस्सों में बारिश नहीं होने के कारण सुखा पड़ रहा है लेकिन आरजेडी के घर खुशियों की बारिश हो रही है। अगर आप किसी मौसम वैज्ञानिक से बात करेंगे तो आपको यह बताएंगे कि मौसम एक समय के अनुसार ही बदलता है लेकिन जब आप बिहार की राजनीति के तरफ देखेंगे तो इसका कोई समय नहीं है, कब मौसम की राजनीति किधर पलट जाए यह कोई नहीं जानता है। बिहार में इसी बदलाव से अगर सबसे अधिक किसी को फायदा हुआ है तो वो तेजस्वी यादव है। अब इसी के साथ तेजस्वी यादव एक नंबर और नीतीश कुमार दो नंबर के नेता हो गए हैं। अब आपके मन मे सवाल उठ रहा होगा कि ये कैसे तो चलिए हम आपको समझाते हैं।
1. बिहार में आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी है। आरजेडी के पास 79 विधायक हैं जबकि नीतीश कुमार के पास 44 विधायक हैं। ऐसे में साफ जाहिर होता है कि नीतीश कुमार को आरजेडी के सामने झुकना पड़ा है। आप इसी बात से समझ सकते हैं क्योंकि नीतीश कुमार खुद तेजस्वी यादव के घर मिलने गए थे, इससे और तेजस्वी का कद बड़ा हो गया।
2. नीतीश कुमार को यह डर सताने लगा था कि जैसे महाराष्ट्र में हुआ वैसे ही बीजेपी बिहार में कर सकती है। उन्हें लगने लगा कि बीजेपी धीरे-धीरे जदयू को खत्म कर देगी इसलिए वह जदयू को बचाने के लिए आरजेडी से हाथ मिलाया। यानी अपनी पार्टी की अस्तित्व बचाने के लिए मुख्यमंत्री के पास कोई विकल्प नहीं था।
3. बिहार में जातीय समीकरण देखा जाए तो बैकवर्ड वोटरों की संख्या अधिक है। प्रदेश में इस वक्त ओबीसी और ईबीसी को मिला दे तो 51% प्रतिशत उनकी आबादी है। इनमें यादव 14 परसेंट और कुशवाहा 8%, कुर्मी 4 परसेंट है जो की एक बड़ी आबादी का हिस्सा रखता है। वही महादलित 16% है और मुस्लिम 17% है। अनुमानतः देखा जाए तो यह सारे वोटर महागठबंधन के पाले में ही जाते हैं। वही 15 % सवर्ण वोटर है जो कि आमतौर पर बीजेपी के ही समर्थक होते हैं। बिहार में अब फॉरवर्ड वोटर्स नीतीश कुमार को पसंद भी नहीं करते हैं ऐसे में एनडीए के साथ रहना कोई फायदे का सौदा नहीं था।
4. 2015 के बाद तेजस्वी यादव की पकड़ बिहार की जनता में नीतीश कुमार से अधिक हो गई है। इसके पीछे का मुख्य कारण यह है कि नीतीश कुमार ने पलटी मार- मार के सरकार जो बनाई है, इससे लोगों का विश्वास उठा है। अब बिहार में नीतीश कुमार को पसंद करने वालों की संख्या कम हो गई है जबकि तेजस्वी यादव की पकड़ पूरे बिहार में हो गई है, खासतौर पर युवाओं में सबसे अधिक तेजस्वी की फैन फॉलोइंग बढ़ी है।
5. नीतीश कुमार को प्रधानमंत्री बनने की महत्वाकांक्षा हमेशा से रही है। उन्हें लगता है कि तेजस्वी को अगर समर्थन देते हैं तो बिहार के साथ-साथ झारखंड में भी पकड़ मजबूत होगी क्योंकि झारखंड में आरजेडी की पकड़ अच्छी है। वहीं आपने देखा होगा कि नीतीश कुमार ने इशारों ही इशारों में कह दिया कि जो 2014 में आए हैं वह 2024 में नहीं आएंगे इससे साफ जाहिर होता है कि नीतीश क्या चाहते हैं।