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पटना: बिहार में 75 प्रतिशत आरक्षण लागू करने की जमीन तैयार हो गई है। नीतीश कुमार की कैबिनेट में आज आरक्षण बढ़ाए जाने के प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है। नीतीश सरकार ने तय किया है कि वह 9 नवंबर को बिहार विधानसभा में आरक्षण बढ़ाए जाने का बिल लाएगी। हलांकि इस तरह की तैयारी पहले से थी इसलिए नीतीश कैबिनेट ने विधानसभा में जातीय जनगणना की रिपोर्ट पेश होते ही बिहार आरक्षण बिल 2023 पर मुहर लगा दी।
केंद्र के पास राज्य सरकार भेज सकती है प्रस्ताव
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आरक्षण की सीमा को 50 प्रतिशत से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है। ऐसे में दोनों सदनों से बिल पास कराने के बाद राज्य सरकार केंद्र सरकार के पास आरक्षण बढ़ाने का प्रस्ताव भेज सकती है।नीतीश कुमार ने विधान परिषद में आज केंद्र को प्रस्ताव भेजने की बात कही भी थी।
जाति जनगणना की रिपोर्ट विधानसभा में पेश
इससे पहले आज विधानसभा में जाति जनगणना की रिपोर्ट पेश की गई। इस रिपोर्ट पर चर्चा के दौरान नीतीश कुमार ने आरक्षण बढ़ाने की बात कही थी। उन्होंने कुल आरक्षण 75 प्रतिशत करने और 25 प्रतिशत सीटें सामान्य वर्ग के लिए रखने की बात कही थी। नीतीश कुमार ने कहा, ‘एससी और एसटी के लिए मिलाकर आरक्षण कुल 17 प्रतिशत है। इसे बढ़ाकर 22 फीसदी किया जाना चाहिए। इसी तरह ओबीसी के लिए आरक्षण भी मौजूदा 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत किया जाना चाहिए। हम उचित परामर्श के बाद आवश्यक कदम उठाएंगे। हमारा चालू सत्र में इस संबंध में आवश्यक कानून लाने का इरादा है।’
ओबीसी, राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत
सर्वेक्षण के अनुसार अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) उपसमूह सहित ओबीसी, राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत है जबकि एससी और एसटी कुल मिलाकर 21 प्रतिशत से थोड़ा अधिक हैं। मुख्यमंत्री के बयान का राज्य की राजनीति पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की संभावना है और इससे देश के अन्य हिस्सों से आरक्षण बढ़ाने की मांग उठ सकती है। कुमार ने बिहार में जातिगत सर्वेक्षण को ‘‘बोगस’’ बताए जाने की भी निंदा की। बिहार के सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री पद पर आसीन रहे कुमार ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को प्रत्युत्तर देते हुए कहा, ‘‘कुछ लोग कहते हैं कि अन्य जातियों के नुकसान के लिए कुछ समुदायों के आंकड़ों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया गया है। ये सब ‘‘बोगस’’ बात है, नहीं बोलना चाहिए था।’’ शाह ने दो दिन पहले मुजफ्फरपुर जिले में एक रैली में नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधते हुए उस पर अपनी ‘‘तुष्टिकरण की राजनीति’’ के तहत राज्य के जातिगत सर्वेक्षण में जानबूझकर मुस्लिमों और यादवों की आबादी को बढ़ाकर दिखाने का आरोप लगाया था और कहा था कि इसका अन्य पिछड़े वर्गों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। शाह ने नीतीश कुमार पर यह भी आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने सहयोगी दल राजद के प्रमुख लालू प्रसाद के दबाव में ऐसा किया ।
आखिरी बार जातिगत गणना 1931 में हुई थी
कुमार ने लालू प्रसाद के छोटे बेटे और उनके राजनीतिक उत्तराधिकारी माने जाने वाले उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की मौजूदगी में सदन को संबोधित करते हुए कहा कि यहां तक कि उनकी अपनी जाति (कुर्मी) भी कुल आबादी का एक छोटा प्रतिशत है। उन्होंने कहा, ‘‘इस सर्वेक्षण से पहले हमारे पास केवल धारणाएँ थीं, संबंधित समूहों की जनसंख्या का अनुमान लगाने के लिए कोई ठोस डेटा नहीं था। आखिरी बार जातिगत गणना 1931 की जनगणना में की गई थी। इसके अलावा हमें यह भी समझना चाहिए कि महिला शिक्षा को बढ़ावा देने के बाद प्रजनन दर में गिरावट आ रही है। सामाजिक क्षेत्रों में जहां यह परिवर्तन अधिक स्पष्ट है, वहां जनसंख्या अनुपात में गिरावट होगी।’’ उन्होंने यह भी खुलासा किया कि उनकी सरकार रिपोर्ट की एक प्रति केंद्र को भेजेगी जिसमें समाज के कमजोर वर्गों पर लक्षित उपाय करने के लिए अतिरिक्त सहायता की मांग की जाएगी।
बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग
नीतीश कुमार ने कहा, ‘‘इस अवसर पर मैं बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए अपने अनुरोध को फिर से दोहराना चाहूंगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हमने अनुमान लगाया है कि गरीबों की स्थिति में सुधार के लिए राज्य को 2.51 लाख करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ उठाना होगा।’’ मुख्यमंत्री ने कहा कि सर्वेक्षण के अनुसार बिहार में 94 लाख परिवार गरीब हैं जो 6000 रुपये या उससे कम की मासिक आय पर जीवन यापन कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि उनकी सरकार द्वारा रखे गए प्रस्तावों में से एक गरीब परिवारों को आर्थिक रूप से उत्पादक कार्य करने के लिए प्रत्येक को दो लाख रुपये की सहायता प्रदान करना है। इसके अलावा उनकी सरकार ने आवास निर्माण के लिए ऐसे प्रत्येक परिवार को एक लाख रुपये देने की योजना बनाई है जिनके पास रहने के लिए कोई घर नहीं है। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘अगर हमें विशेष दर्जा मिलता है, तो हम दो से तीन वर्षों में अपने लक्ष्य हासिल करने में सक्षम होंगे। अन्यथा इसमें अधिक समय लग सकता है।’’ (इनपुट-भाषा)