Sunday, March 23, 2025
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बिहार के सीएम नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी का बायकॉट करेंगे मुस्लिम संगठन, बताई वजह

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी द्वारा नीतीश कुमार नायडू और चिराग पासवान की इफ्तार पार्टी, ईद मिलन व अन्य कार्यक्रमों के बहिष्कार की घोषणा के बाद बिहार के सभी मुस्लिम संगठनों ने भी संयुक्त रूप से नीतीश कुमार की इफ्तार पार्टी के बहिष्कार का ऐलान किया है।

Reported By : Nitish Chandra Edited By : Mangal Yadav Published : Mar 22, 2025 23:22 IST, Updated : Mar 22, 2025 23:54 IST
 मुख्यमंत्री नीतीश कुमार
Image Source : FILE-PTI मुख्यमंत्री नीतीश कुमार

पटनाः बिहार के प्रमुख मुस्लिम धार्मिक संगठनों ने रविवार 23 मार्च को होने वाली मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दावत-ए-इफ्तार के बायकॉट की घोषणा की है। इन संगठनों की ओर से नीतीश कुमार को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि यह फैसला आपकी ओर से प्रस्तावित वक्फ संशोधन बिल 2024 के समर्थन के खिलाफ विरोध के तौर पर लिया गया है।

 इफ्तार पार्टी में नहीं जाएंगे मुस्लिम संगठन

पत्र लिखने वाले संगठनों में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड, इमारत-ए-शरिया, जमीयत उलेमा हिंद, जमीयत अहले हदीस, जमात-ए-इस्लामी हिंद, खानकाह मुजीबिया और खानकाह रहमानी शामिल हैं। बिहार सीएम की तरफ से बिहार जमीयत उलेमा ए हिन्द को रविवार होनी वाली इफ्तार के लिए निमंत्रण भेजा गया है। जमीयत ने इफ्तार के बहिष्कार का ऐलान किया है।

नीतीश कुमार को लिखे पत्र में कहा कि बिहार की मिल्ली संगठनों के हस्ताक्षरकर्ता, 23 मार्च 2025 को होने वाले सरकारी इफ्तार में शामिल नहीं होंगे। यह निर्णय वक़्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के प्रति आपके निरंतर समर्थन के विरोध में लिया गया है। यह विधेयक वक़्फ़ संपत्तियों के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा है, संवैधानिक संरक्षण का उल्लंघन करता है और मुसलमानों की आर्थिक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन को और गहरा करता है।

लोकतांत्रिक और संवैधानिक सिद्धांतों के साथ विश्वासघात

पत्र में यह भी लिखा गया है कि आपने बिहार की जनता से धर्मनिरपेक्ष शासन और अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा का वादा करके सत्ता प्राप्त की थी। लेकिन भाजपा के साथ आपका गठबंधन और इस अतार्किक और असंवैधानिक कानून का समर्थन उन प्रतिबद्धताओं के खिलाफ जाता है। आपके इफ्तार निमंत्रण का उद्देश्य आपसी विश्वास और सौहार्द को बढ़ावा देना है, लेकिन भरोसा केवल प्रतीकात्मकता पर नहीं, बल्कि ठोस नीतिगत कदमों पर आधारित होता है। आपकी सरकार द्वारा मुसलमानों की चिंताओं की उपेक्षा ऐसे औपचारिक आयोजनों को अर्थहीन बना देती है।

पत्र में मुस्लिम संगठनों ने जताई ये चिंता

पत्र में यह भी लिखा गया है कि यदि यह विधेयक लागू हुआ, तो यह शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला आश्रयों और धार्मिक स्थलों के लिए समर्पित सदियों पुराने वक़्फ़ संस्थानों को नष्ट कर देगा। इससे मुस्लिम समुदाय और अधिक वंचित और गरीब हो जाएगा, जैसा कि सच्चर समिति की रिपोर्ट में पहले ही चेतावनी दी गई थी। संविधान का सम्मान केवल प्रतीकात्मक नहीं, बल्कि नीतिगत होना चाहिए। 

 

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