Friday, November 22, 2024
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माता सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा-स्थापना के लिए भूमि चयनित, पढ़िए पूरी डिटेल

रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में माता सीताजी की 251 फीट ऊंची प्रतिमा-स्थापना के लिए तैयारियां जोरों से चल रही हैं। यह प्रतिमा राघोपुर बखरी में स्थापित होगी।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Published on: November 20, 2022 9:54 IST
मां सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा राघोपुर बखरी में स्थापित होगी- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV मां सीता की 251 फीट ऊंची प्रतिमा राघोपुर बखरी में स्थापित होगी

सीतामढ़ी। रामायण रिसर्च काउंसिल के तत्वावधान में माता सीताजी की 251 फीट ऊंची प्रतिमा-स्थापना के लिए तैयारियां जोरों से चल रही हैं। यह प्रतिमा राघोपुर बखरी में स्थापित होगी। इसके लिए राघोपुर बखरी के महंत ने काउंसिल को कुल 18 एकड़ 40 डिसिमल भूमि दान दी है। वहीं इसके विस्तार के लिए आसपास के किसानों ने भी काउंसिल को अपनी ज़मीन देने पर सहमति जताते हुए करीब 6 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर दिया है। काउंसिल ने अब तक कुल 24.39 एकड़ भूमि का एग्रीमेंट कर लिया है। शनिवार को सर्किट हाउस में काउंसिल द्वारा आयोजित एक प्रेस वार्ता में सांसद सुनील कुमार पिंटू ने मिलकर यह जानकारी दी। 

इस कार्य को कार्यान्वित करने के लिए गठित श्रीभगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति के अध्यक्ष तथा स्थानीय सांसद श्री पिंटू ने बताया कि अभी और भूमि के अधिग्रहण के लिए वह किसानों से निरंतर संपर्क में हैं, जो जल्द ही पूर्ण कर लिया जाएगा। सांसद ने बताया कि उन्होंने इस स्थल के आसपास की कुल 33.86 एकड़ भूमि का रजिस्ट्री-शुल्क माफ करने के लिए सीतामढ़ी निबंधन कार्यालय के माध्यम से प्रस्ताव बिहार सरकार को भेज दिया है, जिस पर जल्द ही स्वीकृति मिल जाएगी। 

यह स्थल विश्व की नारी समाज का प्रेरणा एवं दर्शन का केंद्र बनेगा

राघोपुर बखरी के महंत रामलीला दास ने काउंसिल के इस प्रयास की सराहना की। वहीं काउंसिल के अंतरराष्ट्रीय संयोजक तथा भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष रविकांत गर्ग ने बताया कि विश्वभर में अभियान चलाकर हर क्षेत्र के लोगों को जागरुक किया जाएगा। श्री गर्ग ने कहा कि जल्द ही इस कार्य में मिथिला समाज एवं स्थानीय स्तर पर सभी की सहभागिता सुनिश्चित हो सके, इसके लिए जल्द ही एक कमेटी बनाई जाएगी। काउंसिल के अंतर्गत गठित सीता सखी समिति की संयोजक स्वामी आराध्या सरस्वती ने कहा कि विश्वभर की मातृशक्तियों को इस पुनीत कार्य में शामिल करने के लिए वह जगह-जगह कई संगोष्ठियों का आयोजन करेंगी। साध्वी लक्ष्मी माता ने कहा कि माता सीताजी एकमात्र ऐसी आदर्श उदाहरण हैं जिन पर यह कार्य करने से नारी सशक्तिकरण को बड़ा बल मिलेगा। उन्होंने कहा कि इस कार्य के पूरा होने के बाद यह स्थल विश्व की नारी समाज का प्रेरणा एवं दर्शन का केंद्र बनेगा। वहीं, ज्योतिषाचार्य आचार्य संतोष पाण्डेय ने कहा कि आज के युवाओं को माता सीताजी का भगवती के रूप में दर्शन का भाव सके, इसके लिए कुछ पुस्तिकाएं बनाकर उनका अधिक से अधिक प्रसार किया जाएगा।

प्रेस वार्ता का संचालन काउंसिल के महासचिव कुमार सुशांत ने किया। इस अवसर पर काउंसिल के पदाधिकारियों में राजीव कुमार सिंह, जयकांत सिंह, गजेंद्र सिंह, पिताम्बर मिश्र, सुभाष झा, विजय उपाध्याय उपस्थित रहे। 

आपसी सद्भाव की मिसाल, अल्पसंख्यक ने ढ़ाई कट्ठे की ज़मीन दान देने की घोषणा की

सांसद सुनील कुमार पिंटू ने बताया कि इस पवित्र कार्य में सीतामढ़ी के हर धर्म तथा हर वर्ग का उन्हें काफी सहयोग मिल रहा है। उदाहरण पेश करते हुए उन्होंने कहा कि जब वह किसानों से लगातार इस कार्य में भूमि देने का आह्वान कर रहे थे तब मो. निजामुद्दीन नाम के एक किसान ने उन्हें पूरी भावुकता के साथ करीब ढाई कट्ठे की ज़मीन दान-स्वरूप देने की बात कही और कहा कि और भी जिस मदद की आवश्यकता होगी, वह भी यथासंभव पूर्ण किया जाएगा। सांसद श्री पिंटू ने इसी तरह पूरे क्षेत्र की जनता से इस कार्य में बढ़-चढ़कर शामिल होने के लिए आह्वान भी किया। 

शक्ति व पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित होगा स्थल

प्रेस वार्ता में शामिल जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर हिमालयन योगी स्वामी वीरेंद्रानंद जी महाराज ने बताया कि काउंसिल के मुख्य मार्गदर्शक श्री श्री 1008 परमहंस स्वामी सांदीपेंद्र जी महाराज उस स्थान को एक शक्ति-स्थल के रूप में विकसित करना चाहते हैं। इसके लिए 51 शक्तिपीठों समेत, इंडोनेशिया, बाली, अशोक वाटिका जैसे स्थानों से मिट्टी व जल जाकर तथा मध्य प्रदेश में नलखेड़ा स्थित माता बगलामुखीजी की ज्योत लाकर माता सीताजी को श्रीभगवती के रूप में स्थापित किया जाएगा। 

देश का सबसे पहला सांस्कृतिक दूतावास भी बनेगा

रामायण रिसर्च काउंसिल के अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्र ने इस कार्य में सांसद श्री पिंटू के लगातार पहल की प्रशंसा की। उन्होंने बताया कि यहां देश का सबसे पहला सांस्कृतिक दूतावास केंद्र भी स्थापित किया जाएगा। ऐसे देश जहां से अधिक पर्यटक आते हैं, उन देशों के राजदूतों के लिए यहां कमरा उपलब्ध रहेगा, जिन्हें यहां विजिट करवाकर उनके द्वारा उनके देश के अधिक से अधिक पर्यटकों को यहां विजिट करने के लिए आह्वान किया जाएगा।

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