पटना: बिहार के कुढ़नी उपचुनाव में सत्ताधारी महागठबंधन के प्रत्याशी की हार के बाद जेडीयू इसकी समीक्षा की बात भले कर रहा है, लेकिन इस परिणाम के बाद विरोधी दल उत्साहित हैं। इस बीच, कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार की शराबबंदी कानून को लेकर लोगों की नाराजगी इस चुनाव में बड़ा मुद्दा साबित हुई। कांग्रेस ने तो जेडीयू प्रत्याशी की हार को शराबबंदी से जोड़ दिया है जबकि जेडीयू के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने भी इशारों ही इशारों में इस ओर दिखाने की कोशिश की है।
वैसे, इसमें कोई शक नहीं शराबबंदी के बाद ग्रामीण इलाकों में पुलिसिया दमन बढ़ा है। सत्ताधारी महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतन राम मांझी इसे कई बार सार्वजनिक मंचों से उठाते भी रहे हैं। कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता अजीत शर्मा ने शराबबंदी और ताडीबंदी पर इसका ठीकरा फोड़ा है। अजीत शर्मा ने कहा कि निश्चित तौर पर बिहार में शराबबंदी व ताड़ी पर पाबंदी लगी हुई है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब कुढ़नी गए थे तो विरोध भी हुआ था। अब इसका फायदा भाजपा ने उठाया है इसलिए हमलोग कुढ़नी सीट हार गए।
कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता शर्मा कहते हैं कि जदयू और भाजपा साथ थी, तो सब पार्टी ने मिलकर शराबबंदी लागू किया था। जब भाजपा अलग हो गई तो वह पासी समाज व मुशहर समाज को बरगलाने का काम किया। इस समाज के लोगों ने जो ताडी पर से प्रतिबंध हटाने के लिए मुख्यमंत्री का विरोध किया था, प्रतिबंध नहीं हटाने पर सभी ने भाजपा को वोट दे दिया। आरोप लगाया जाता रहा है कि ग्रामीण इलाकों में शराब के नाम पर पुलिस किसी के भी घर में किसी भी वक्त घुसकर शराब खोजने लगती है, इसमें गरीब परिवारों के बहू-बेटियों के इज्जत का भी ख्याल नही रखा जाता है। जिसे लेकर लोगों के बीच नीतीश के प्रति नाराजगी बढ़ी है।
जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता की कुछ पंक्तियों के साथ अपने ट्वीट में लिखा, कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की जरूरत है। पहली सीख-जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।
कुढनी उपचुनाव में प्रचार करने पहुंचे लोजपा (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने इस मुद्दे को उठाकर हवा दे दी थी। वैसे, कहा तो यहां तक जा रहा है कि बिहार विधानसभा 2020 में भी नीतीश कुमार के प्रति लोगों में नाराजगी थी, लेकिन हाल के उपचुनावों में यह नाराजगी और बढ़ी है।