पटना: पटना का बांकीपुर मैदान देश के इतिहास की कुछ महत्वपूर्ण घटनाओं का मूक गवाह रहा है। महात्मा गांधी की हत्या के बाद इसका नाम 1948 में स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ से पहले उनके सम्मान में उनके नाम पर कर दिया गया था। अभिलेखीय दस्तावेजों के अनुसार, अंडाकार आकार के इस मैदान को अब 'गांधी मैदान' के नाम से जाना जाता है।
यह मैदान आजादी के बाद से राज्य में स्वतंत्रता दिवस समारोह का स्थान रहा है। पहले इसे 'बांकीपुर मैदान' या 'पटना लॉन' कहा जाता था। यहां के प्रसिद्ध किला हाउस के जालान परिवार के दुर्लभ निजी संग्रहों के अनुसार, गांधी मैदान नाम का इस्तेमाल 15 अगस्त, 1948 को भारत की स्वतंत्रता की पहली वर्षगांठ के समारोह के लिए छपे आधिकारिक निमंत्रण पत्रों में किया गया था। आदित्य जालान (43) ने कहा कि उन्हें संयोग से स्वतंत्रता दिवस समारोह का एक दुर्लभ निमंत्रण पत्र मिला जो कि उनके परदादा दीवान बहादुर राधा कृष्ण जालान के नाम का था।
जालान ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘गांधीजी की 30 जनवरी, 1948 को हत्या कर दी गई थी और उसी वर्ष 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ थी। हमारे विशाल पारिवारिक अभिलेखागार से मुझे दो अलग-अलग निमंत्रण पत्र मिले, जिनमें से एक 1945 का था जिसमें स्थल का उल्लेख ‘बांकीपुर मैदान’ जबकि दूसरा 1948 का था जिसमें, उसे ‘गांधी मैदान’ कहा गया है।’’ इससे पता चलता है कि अंग्रेजों के शासन के दौरान इसे बांकीपुर मैदान के रूप में जाना जाता था और स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ के समारोह से पहले उसका फिर से नामकरण किया गया।
पटना प्रशासन द्वारा जारी किए गए निमंत्रण पत्र में लिखा गया है, ‘‘जिलाधिकारी, पटना आग्रह करते हैं कि दीवान बहादुर राधा कृष्ण जालान 15 अगस्त, रविवार सुबह 9 बजे गांधी मैदान, बांकीपुर में उपस्थित होकर अनुग्रहीत करें, जब बिहार के माननीय राज्यपाल स्वतंत्रता दिवस की पहली वर्षगांठ के अवसर पर ध्वजारोहण करेंगे और सेना, पुलिस और होम-गार्ड की एक संयुक्त परेड की सलामी लेंगे।’’
बिहार राज्य अभिलेखागार के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, गांधी मैदान का नाम बदलने का अनुरोध उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर के एक स्कूल शिक्षक ने महात्मा गांधी की हत्या के तुरंत बाद किया था। अधिकारी ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारे अभिलेखागार के रिकॉर्ड के अनुसार, मुजफ्फरपुर जिले के एक शिक्षक ने सरकारी अधिकारियों को एक पत्र भेजा था, जिसमें गांधी के सम्मान में बांकीपुर मैदान का नाम बदलने का अनुरोध किया गया था, जिनकी जनवरी 1948 में हत्या कर दी गई थी। उन्होंने गांधी लॉन, गांधी पार्क या महात्मा गांधी मैदान सहित विभिन्न नामों का उपयोग करने का सुझाव दिया था। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया था कि इसमें बापू का नाम होना चाहिए।’’