पटना: केंद्रीय एमएसएमई मंत्री और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमीलेयर के आधार पर उपवर्गीकरण लागू करने के सुप्रीम कोर्ट के ताजा निर्णय का समर्थन किया है। मांझी ने कहा कि यदि बिहार सरकार इसे लागू नहीं करती है तो इस मुद्दे पर पटना में 18 दलित जातियों की रैली आयोजित की जाएगी। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी आरक्षण में जो जातियां आरक्षण के लाभ से वंचित हैं, उन्हें आरक्षण में उपवर्गीकरण (कोटे में कोटा) कर लाभ दिया जाना चाहिए। बता दें कि मांझी का यह रुख मोदी सरकार के मौजूदा रुख से अलग है।
मांझी ने उपवर्गीकरण को शीघ्र लागू करने की मांग की
मांझी ने ‘वंचित अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा , बिहार’ के तत्वावधान में मंगलवार को रविंद्र भवन (पटना) में आयोजित 18 जातियों के सम्मेलन में कहा कि आरक्षण में जातियों के उपवर्गीकरण को यथाशीघ्र लागू कर सुप्रीम कोर्ट की भावना का सम्मान किया जाना चाहिए। सम्मेलन में आरक्षण से वंचित मुसहर-भुईयां, डोम, मेहतर तूरी, रजवार, भोक्ता, घुमंतू आदि जातियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
कार्यक्रम में वंचित अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा बिहार ने जो प्रस्ताव पारित किसा, वह इस प्रकार है:
- सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी/एसटी आरक्षण में उपवर्गीकरण के निर्णय को आरक्षण के भागीदारी से पीछे छूट गए समुदायों के लिए यह निर्णय आदेश न्यायसंगत है। उक्त निर्णय का हम सभी समर्थन करते हैं।
- एससी/एसटी आरक्षण में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय एवं निर्देशन के आलोक में राज्य सरकार से अविलंब मांग करते हैं कि एससी/एसटी में उपवर्गीकरण यथाशीघ्र लागू किया जाए।
- एससी/एसटी वर्ग में आरक्षण से पीछे छूटे हुए वर्ग को राज्य सरकार प्रारंभिक काल में महादलित को शिक्षा, नौकरी और योजनाओं के लाभ में प्राथमिकता दी जाए।
- हम इस मुद्दे पर 21 अगस्त 2024 को आहूत ‘भारत बंद’ को नेतृत्व विहीन और अनुचित मानते हैं। हम सभी 18 जाति के लोग उक्त भारत बंद में शामिल नहीं होने का संकल्प लेते हैं।
'संपन्न दलित ले रहे 95 फीसदी नौैकरियां और अन्य लाभ'
मोर्चा की मांगों के समर्थन में केंद्रीय मंत्री मांझी ने कहा कि आज तक आरक्षण की समीक्षा नहीं हुई, जो अविलंब होनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि उपवर्गीकरण की बात तो निश्चित करेंगे ताकि 78 साल बाद जिस वर्ग तक सुविधा नहीं पहुंची, उसको भी मौका मिले। मांझी ने कहा कि संपन्न दलित यह झूठ फैला रहे हैं कि आरक्षण खत्म करने की साजिश हो रही है। उन्होंने कहा, ‘ऐसा भ्रम फैलाने का हम विरोध करते हैं। आज आजादी के 78 साल बाद जो संपन्न दलित हैं, वे ही आरक्षण के बल पर 95% नौकरी और तमाम सुविधाओं का लाभ लेते रहे।’
‘वंचित दलितों का विकास रोकना चाहते हैं संपन्न दलित’
मांझी ने कहा कि बिहार में हम 18 जातियों के लोगों को आरक्षण का आज तक कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है, इसलिए हम मांग करते हैं बिहार सरकार और केंद्र सरकार से कि आरक्षण में उपवर्गीकरण होना चाहिए। उन्होनंे कहा, ‘बिहार के संदर्भ में 18 जातियां, जिनकी आबादी 10% है, उनको कम से कम 10 फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। कुछ संपन्न दलित आरक्षण खत्म करने की गलत बात कर रहे हैं। वे वंचित दलितों के विकास के रास्ते को रोकना चाहते हैं। हम चाहते हैं कि राज्य सरकार बिहार में भी हरियाणा की तरह आरक्षण में वर्गीकरण कर वंचित दलित को मुख्य धारा में लाने का प्रयास करे।