पटना: बिहार की राजनीति में बड़ी हलचल हो सकती है। इस हलचल का असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ सकता है। अटकलें चल रही हैं कि पार्टी से नाराज चल रहे जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा जेडीयू छोड़ सकते हैं और बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। इन दिनों बीमार चल रहे कुशवाहा का दिल्ली के AIIMS में हो रहा है। वहां बीजेपी के नेताओं ने जाकर उनसे मुलाकात की है। इस मुलाकात के बाद अटकलों का बाज़ार और गर्म हो गया है।
अटकलों की वजह है ये तस्वीर
उपेंद्र कुशवाहा के बीजेपी में जाने की अटकलें तेज़ होने की वजह है एक तस्वीर, जो सोशल मीडिया पर वायरल है। ये फोटो दिल्ली के AIIMS की है। बिहार बीजेपी के तीन नेता पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल, संजय सिंह टाइगर और योगेंद्र पासवान कुशवाहा से मिलने पहुंचे थे। ये तस्वीर सामने आने के बाद ये कहा जा रहा है कि कुशवाहा बीजेपी के करीब जा रहे हैं।
नीतीश बोले- पार्टी में आते-जाते रहते हैं
उपेंद्र कुशवाहा के बीजेपी में जाने की अटकलों पर नीतीश कुमार ने कहा है कि वो पार्टी में आते-जाते रहते हैं। उपेंद्र कुशवाहा ने हाल के दिनों में कुछ ऐसे बयान दिए हैं जिससे साफ-साफ लगा कि जेडीयू और उनकी दूरियां बढ़ गई हैं। कुशवाहा की जेडीयू से दूरी का संकेत नीतीश कुमार के बयान से लगाया जा सकता है। नीतीश से जब कुशवाहा को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने ये कह कर चौंका दिया कि वो आते-जाते रहते हैं।
"उपेंद्र से कह दीजिए हमसे बात कर लें"
अपनी पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष को लेकर बिहार सीएम नीतीश कुमार ने कहा, "उपेंद्र कुशवाहा से कह दीजिए हमसे बात कर लें। वो छोड़कर दो-तीन बार गए। फिर खुद से आए। उनकी क्या इच्छा है, हमको तो नहीं मालूम है। उनकी तबीयत खराब है, हमको पता चला है। हाल-चाल ले लेंगे। वैसे तो सबका अपना अधिकार है, हमको जानकारी नहीं है। अभी हाल ही में मिले थे तो पक्ष में बोल रहे थे। अगर ऐसी कोई बात है तो हमको नहीं पता है। स्वस्थ हो जाएंगे तो पूछेंगे कि क्या मामला है?"
कुशवाहा की नाराजगी के ये हैं फैक्टर
अब आपको वो वजह बताते हैं जो उपेंद्र कुशवाहा के जेडीयू छोड़ने का फैक्टर हो सकते हैं। कुशावाहा जेडीयू से नाराज़ चल रहे हैं। नाराज़गी की 2 बड़ी वज़हें हैं। पहली वजह ये है कि उन्होंने अपनी पार्टी RLSP का जेडीयू में विलय किया तो उन्हें जेडीयू संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया, लेकिन संगठन में उनकी ज्यादा चलती नहीं है। दूसरी बड़ी वजह ये है कि वो बिहार की महागठबंधन सरकार में डिप्टी सीएम या मंत्री पद चाहते थे, लेकिन उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया।
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