पटना: बिहार की जनता के मन में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर क्या चल रहा है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए इंडिया टीवी-CNX का ओपिनियन पोल सामने आया है। यहां हम आपको मिथिलांचल की 9 सीटों के बारे में बताएंगे। इन 9 सीटों में दरभंगा, मधुबनी, झंझारपुर, उजियारपुर, सुपौल, मधेपुरा, बेगुसराय, खगड़िया और समस्तीपुर शामिल है।
मिथिलांचल को लेकर क्या कहता है ओपिनियन पोल?
इंडिया टीवी-CNX के ओपिनियन पोल के मुताबिक, मिथिलांचल की 9 सीटों में से 8 सीटें एनडीए को मिलती दिख रही हैं। वहीं इंडी गठबंधन को एक सीट मिलती दिख रही है।
क्या है इन सीटों का गणित?
- दरभंगा: मिथिलांचल की प्रतिनिधि सीट है। बीजेपी का मज़बूत गढ़ मानी जाती है। बीजेपी के गोपाल ठाकुर सांसद हैं। 14 में बीजेपी के टिकट पर कीर्ति आजाद यहां से जीते थे।
- मधुबनी: बीजेपी की सीट है। 2019 में बीजेपी के अशोक यादव ने ये सीट साढ़े चार लाख के मार्जिन से जीती थी। 14 में इस सीट से बीजेपी के हुकुमदेव नारायण ने RJD के अब्दुल बारी सिद्दीकी को हराया था।
- झंझारपुर: यहां से जेडीयू का सांसद है। रामप्रीत मंडल ने RJD को 3 लाख 22 हजार वोटों से हराया था।
- उजियारपुर: केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय उजियारपुर से जीतते हैं। 19 में उन्होंने RLSP के उपेंद्र कुशवाहा को हराया था। अब उपेंद्र कुशवाहा भी NDA में हैं। उजियारपुर से किसे टिकट मिलता है, ये देखना होगा। लेकिन सर्वे कहता है कि कैंडिडेट कोई भी हो, पलड़ा NDA का भारी है।
- सुपौल: जेडीयू के दिलेश्वर कामैत सांसद हैं। वो कांग्रेस की रंजीता रंजन को हराकर लोकसभा पहुंचे थे। रंजीता रंजन फिर से यहां से टिकट की दावेदार हैं।
- मधेपुरा: ये लालू यादव के प्रभाव वाली सीट है। 2019 में जेडीयू के दिनेश चंद्र यादव ने यहां आरजेडी उम्मीदवार शरद यादव को तीन लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। इस सीट पर 1980 से अब तक हमेशा यादव जाति का ही उम्मीदवार जीता है: इस सीट से लालू यादव, शरद यादव, पप्पू यादव जैसे कई दिग्गज सांसद रहे हैं।
- बेगुसराय: भूमिहार जाति बेहद निर्णायक है। 2009 से यहां NDA जीत रहा है। 2019 में गिरिराज सिंह ने चार लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से कन्हैया कुमार को हराया था। कन्हैया कुमार कम्युनिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। कन्हैया अब कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। राहुल गांधी के साथ न्याय यात्रा कर रहे हैं।
- खगड़िया: 2014 और 2019 में एलजेपी के महबूब अली कैसर सांसद हैं। पिछले चुनाव में महबूब अली कैसर ने वीआईपी पार्टी के मुकेश सहनी को ढाई लाख वोटों से हराया था। अब वीआईपी पार्टी का बीजेपी में विलय हो चुका है। लेकिन महबूब अली कैसर के खिलाफ लोगों में नाराजगी भी है।
- समस्तीपुर: ये सीट 2014 से एलजेपी के पास रही है। 2019 में चिराग पासवान के चचेरे भाई प्रिंस राज ने कांग्रेस उम्मीदवार को 1 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। इससे पहले प्रिंस राज के पिता राम चंद्र पासवान इस सीट से 2 बार सांसद रहे।