लोकसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है। बहुत ही जल्द चुनाव आयोग भी लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर देगी। इस चुनाव को ध्यान में रखते हुए सभी पार्टियां मैदान में उतर चुकी हैं और अपनी तैयारियों में जुट चुकी हैं। अगर बिहार की बात करें तो यहां लोकसभा की 40 सीटें हैं, जो चुनाव के समय काफी अहम भूमिका निभाती हैं। इन सीटों पर कौन सी पार्टी मजबूत है, इसके लिए INDIA TV-CNX के जरिए लोगों की राय जानी गई है। बिहार की 40 सीटों को हमने 4 अलग-अलग रीजन में बांटा है। इस खबर में हम आपको बताएंगे कि मगध-भोजपुर की जनता की क्या राय है।
मगध-भोजपुर में कितनी सीटें है?
बिहार राज्य में लोकसभा की 40 सीटें हैं। इन सीटों को 4 अलग-अलग रीजन में बांटा गया है। ये चारों रीजन नॉर्थ बिहार, मिथिलांचल, सीमांचल और मगध-भोजपुर है। जैसा हमने आपको बताया कि इस खबर में हम मगध-भोजपुर के बारे में बताएंगे। आपको बता दें कि इस रीजन में कुल 12 सीटें आती हैं। अब इन सीटों का नाम भी जान लेते हैं। मगध-भोजपुर में मुंगेर, नवादा, नालंदा, पटना साहिब, पाटलिपुत्र, जहानाबाद, गया, औरंगाबाद, काराकाट, सासाराम, बक्सर, आरा सीटें आती हैं।
इन सीटों पर किसका दावा मजबूत?
INDIA TV-CNX की तरफ से किए ओपिनियन पोल के जरिए लोगों से बातचीत की गई और उनका राय जाना गया। ओपिनियन पोल के मुताबिक इस क्षेत्र में NDA को बढ़त मिलती हुई नजर आ रही है। पोल में आए आंकड़ों के मुताबिक मगध-भोजपुर की 12 सीटों में से 11 सीटें NDA को मिल सकती हैं। वहीं INDI अलायंस को 1 सीट मिल सकती है।
आइए अब क्षेत्र की सीटों के बारे में भी जान लेते हैं
1. मुंगेर - यह सीट भूमिहार डॉमिनेंस वाली सीट है। इस सीट से जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह सांसद है। ललन सिंह फिर चुनाव लड़ना चाहते हैं मगर इसका फैसला बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेना है।
2. नवादा - बेगूसराय जाने से पहले गिरिराज सिंह नवादा के ही सांसद थे। 2019 में ये सीट LJP को दी गई और यहां से चंदन सिंह डेढ़ लाख वोटों से जीते थे। यह चर्चा है कि इस बार भाजपा ये सीट अपने पास रख सकती है।
3. नालंदा - बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का यह अपना जिला है। यहां की सीट वो जेडीयू के पास ही रखते हैं। 2019 के चुनाव में जेडीयू के कौशलेंद्र सिंह ढाई लाख से अधिक वोटों से जीते थे। नालंदा की सीट कुर्मी बहुल सीट है।
4. पटना साहिब - बिहार की इकलौती सीट जहां कायस्थ वोटर निर्णायक हैं। 2019 में यहां रविशंकर प्रसाद और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच कड़ी टक्कर हुई थी जिसमें रविशंकर प्रसाद जीते थे।
5.पाटलिपुत्र - यह सीट यादव बहुल सीट है। मीसा भारती यहां से अपनी किस्मत आजमा चुकी हैं, लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
6. जहानाबाद - साल 2019 के चुनाव में यहां से जेडीयू लड़ी थी, सिर्फ 1700 वोटों से जीत-हार का फैसला हुआ था।
7. गया - जेडीयू के विजय मांझी ने HAM पार्टी के जीतन राम मांझी को इस सीट से हराया था। अब मांझी भी NDA में हैं।
8. औरंगाबाद- सुशील कुमार सिंह पिछले तीन बार से इस सीट से सांसद हैं। 2009 में सुशील सिंह जेडीयू के टिकट पर जीते। उसके बाद 2014 और 2019 में बीजेपी के टिकट पर सांसद बने। बीते चुनाव में सुशील सिंह सिर्फ 2,607 वोट से जीत पाए थे। उन्हे जीतनराम मांझी की पार्टी HAM से कड़ी टक्कर मिली थी मगर जैसा आप जानते हैं कि इस बार मांझी एनडीए के साथ आ चुके हैं।
9.काराकाट- यह उपेंद्र कुशवाहा का गढ़ है। साल 2019 में जेडीयू के महाबली सिंह ने उपेंद्र कुशवाहा को लगभग 85 हजार वोटों से हराया था। लेकिन इस बार उपेंद्र कुशवाहा खुद NDA के साथ आ चुके हैं।
10. सासाराम - यह सुरक्षित सीट है। यहां से पूर्व उप-प्रधानमंत्री जगजीवन राम चुनाव लड़ते रहे हैं। पूर्व स्पीकर मीरा कुमार भी यहां से जीतती रही हैं लेकिन अब यह सीट NDA के पास है।
11. बक्सर - यह ब्राह्मण बहुल सीट है जहां से बीजेपी के अश्विनी चौबे सांसद हैं। RJD उम्मीदवार को अश्विनी चौबे ने लगभग सवा लाख वोटों के मार्जिन से हराया था। बता दें कि 1996 से अब तक सिर्फ एक बार 2009 में बीजेपी ये सीट हारी है।
12. आरा - केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह दो बार आरा की इस सीट को जीत चुके हैं। R.K.Singh कभी इसी जिले में अफसर थे। उनकी अपनी लोकप्रियता है हालांकि उनका जनसंपर्क कम रहता है। मगर मोदी लहर उनको संसद पहुंचा देती है।
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