Tuesday, November 05, 2024
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INDIA TV-CNX Opinion Poll: सीमांचल की 7 सीटों पर क्या कहता है ओपिनियन पोल, आइए जानते हैं

लोकसभा चुनाव में बिहार 40 सीटों के साथ एक अहम जगह रखता है। बिहार की 40 लोकसभा सीटों को हमने चार रीजन में बांटा है, जिसमें नॉर्थ बिहार, मिथिलांचल, सीमांचल और मगध-भोजपुर शामिल हैं। इस खबर के जरिए हम आपको बताएंगे कि सीमांचल में किस पार्टी को बढ़त मिलती दिख रही है।

Edited By: Akash Mishra @Akash25100607
Updated on: February 28, 2024 20:58 IST
सीमांचल का हाल जानिए- India TV Hindi
सीमांचल का हाल जानिए

INDIA TV-CNX Opinion Poll: देश में आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दलों की तैयारियों जोरों पर हैं। लोकसभा 2024 का चुनाव अब कुछ ज्यादा दूर नहीं, इलेक्शन कमीशन की तरफ से जल्द ही तारीखों की घोषणा कर दी जाएगी। लोकसभा चुनाव में बिहार 40 सीटों के साथ एक अहम जगह रखता है। किन सीटों कौन सी पार्ट मजबूत है इसकी जानकारी के लिए INDIA TV-CNX के जरिए जनता की राय ली गई। इसके लिए बिहार की 40 लोकसभा सीटों को हमने चार रीजन में बांटा है, जिसमें नॉर्थ बिहार, मिथिलांचल, सीमांचल और मगध-भोजपुर शामिल हैं। इस खबर के जरिए हम आपको बताएंगे कि सीमांचल में किस पार्टी का बढ़त मिलती दिख रही है। 

कितनी और कौन सी हैं सीमांचल में सीटें?

सीमांचल इलाके में कुल 7 लोकसभा सीटें हैं। इनमें- अररिया, किशनगंज, कटिहार, पूर्णिया, भागलपुर, बांका और जमुई शामिल हैं। ये बिहार का मुस्लिम बहुल इलाका है। यहां की कम से कम 4 सीटों पर मुस्लिम वोटर ही डिसाइडर हैं।  

सीमांचल की सात सीटों पर कौन जीत रहा? 

INDIA TV-CNX की ओर से किए गए ओपिनियन पोल में जनता की राय भाजपा के पक्ष में जाती दिख रही है। पोल में सामने आए नतीजों के  मुताबिक सीमांचल की 7 लोकसभा सीटें में से पांच एनडीए और दो INDIA गठबंधन जीत सकता है। बता दें कि साल 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में NDA गठबंधन को 40 में से 39 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल हुई थी। 

आइए अब जानते हैं सात सीटों के बारे में 

अररिया- यहां से बीजेपी के प्रदीप कुमार सिंह मौजूदा सांसद हैं। 2019 में उन्होंने आरजेडी के सरफराज आलम को यहां लगभग 2 लाख वोटों से हराया था। मुस्लिम वोट यहां बड़ा रोल प्ले करता है। इस सीट पर आरजेडी और बीजेपी की सीधी फाइट लंबे समय से चली आ रही है।

किशनगंज- बिहार की सिंगल सीट जहां 2019 में NDA को हार मिली थी और कांग्रेस को यहां से जीत मिली थी। कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने जेडीयू को लगभग 35 हजार वोटों की क्लोज फाइट में हराया। बीते दो चुनाव से यहां कांग्रेस को जीत मिल रही है। बीजेपी सिर्फ 1 बार ये सीट 1999 में जीती थी जब शाहनवाज हुसैन को मैदान में उतारा था।

 
कटिहार- ये भी मुस्लिम बहुल सीट है। 2019 में जेडीयू के दुलाल चंद्र गोस्वामी ने यहां कांग्रेस के तारिक अनवर को लगभग 60 हजार वोटों से हराया था। इस बार भी कांग्रेस इस सीट पर दावेदारी कर रही है।
 
पूर्णिया- ये सीट जनअधिकार पार्टी प्रमुख पप्पू यादव का गढ़ कही जाती है। ये सीट 2004 से एनडीए के खाते में है। जेडीयू के संतोष कुशवाह दो बार से सांसद हैं। कांग्रेस उम्मीदवार को 3 लाख वोटों से हराकर जीते थे संतोष कुशवाह। इस सीट पर भी कांग्रेस अपना दावा ठोक रही है।
 
भागलपुर- ये सीट NDA का मजबूत किला मानी जाती है। 2019 में जेडीयू के अजय कुमार मंडल ने आरजेडी को पौने तीन लाख वोटों से हराया। बता दें कि इस सीट का प्रतिनिधित्व शाहनवाज हुसैन, सुशील मोदी, भागवत झा आजाद जैसे चेहरे भी कर चुके हैं। 
 
बांका- यहां से जेडीयू के गिरिधारी यादव सीटिंग एमपी हैं। 2019 में उन्होंने आरजेडी के पूर्व केंद्रीय मंत्री जय प्रकाश नारायण यादव को 2 लाख वोटों से हराया था। इस बार जय प्रकाश नारायण यादव के जीत की संभावना बहुत मजबूत मानी जा रही है। 

जमुई- इस सीट से 2014 से चिराग पासवान सांसद हैं। पिछले चुनाव में लगभग तीन लाख वोटों के मार्जिन से चिराग पासवान ने उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLSP के उम्मीदवार को हराया था। अब उपेंद्र कुशवाहा एनडीए के साथ हैं, जिससे यहां एनडीए को बोनस फायदा है। 

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