
नई दिल्ली: जनसुराज पार्टी के संस्थापक और जाने-माने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर वक्फ संशोधन बिल को लेकर जनता दल यूनाइटेड की रणनीति पर बिफर पड़े। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को लेकर उनका गुस्सा फूट पड़ा। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है। मुसलमानों का एक बड़ा वर्ग वक्फ विधेयक से खुद को खतरे में महसूस कर रहा है। जब इतिहास में इस युग को लिखा जाएगा तो इस कानून के लिए भाजपा से ज्यादा नीतीश कुमार जैसे नेताओं को दोषी ठहराया जाएगा।
प्रशांत किशोर ने कहा. ' मुझे लगता है कि सरकार ध्रुवीकरण की राजनीति के लिए जल्दबाजी में यह कानून बना रही है... सरकार के पास लोकसभा में बहुमत नहीं है। वे यह कानून इसलिए ला पा रहे हैं क्योंकि नीतीश कुमार जैसे लोग सरकार का समर्थन कर रहे हैं; अगर नीतीश कुमार जैसे नेता लोकसभा में इस विधेयक के समर्थन में वोट नहीं करते हैं, तो सरकार इसे कभी कानून नहीं बना सकती।'
भाजपा से ज्यादा नीतीश कुमार दोषी: प्रशांत किशोर
उन्होंने कहा, 'भाजपा मुसलमानों को अपना वोट बैंक नहीं मानती। लेकिन नीतीश कुमार जैसे लोग जो हर दिन मुसलमानों से कहते हैं कि वे समुदाय के हितैषी हैं, उन्हें जरूर सोचना चाहिए क्या वे गांधी, लोहिया और जेपी की बात करते हुए भी इस विधेयक के समर्थन में वोट देकर अपना पाखंड नहीं दिखा रहे हैं? जब इतिहास में इस युग को लिखा जाएगा तो इस कानून के लिए भाजपा से ज्यादा नीतीश कुमार जैसे नेताओं को दोषी ठहराया जाएगा।"
बता दें कि वक्फ संशोधन विधेयक को पारित कराने के लिए लोकसभा में आज चर्चा होगी। जिससे इसे पारित कराने के लिए दृढ़संकल्पित सरकार और प्रस्तावित कानून को असंवैधानिक बताकर इसकी निंदा करने वाले विपक्ष के बीच टकराव का मंच तैयार हो गया है। राज्यसभा में इस पर बृहस्पतिवार को चर्चा होने की उम्मीद है। दोनों सदनों में प्रस्तावित कानून पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे आवंटित किए गए हैं।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बाद चार सबसे बड़े घटकों- तेलुगुदेशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल-यूनाइटेड (जदयू), शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास)- ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है। सूत्रों ने बताया कि भाजपा के कुछ सहयोगी दल विधेयक में और बदलाव की मांग कर रहे हैं। भाजपा के एक सहयोगी दल के वरिष्ठ सदस्य ने उम्मीद जताई कि भाजपा उनके विचारों को ध्यान में रखेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी कुछ चिंताओं का निदान संसद की संयुक्त समिति ने की है और राजग इस मुद्दे पर एकजुट रहेगा।
केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है। बैठक में विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के प्रारंभिक संकेत तब दिखाई दिए जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया। हालांकि इस मुद्दे पर गतिरोध से कोई खास फर्क नहीं पड़ता दिख रहा क्योंकि लोकसभा में सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पक्ष में संख्याबल है।