Highlights
- पीएफआई के बैन का स्वागत किया जाना चाहिए: गिरिराज
- गरीब मुसलमानों को भटकने से बचाया जाएगा: गिरिराज सिंह
- देश की जनता जल्द ही आपको अलविदा कह देगी: बल्यावी
Bihar News: बिहार में पीएफआई (PFI) पर बैन के बाद केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा, अलविदा, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI)। इस पर जदयू (JDU) के एक नेता ने पलटवार करते हुए कहा कि लोग 2024 में उनकी बीजेपी को विदाई देंगे। गिरिराज सिंह ने कहा, "पीएफआई के बैन का स्वागत किया जाना चाहिए। इस फैसले से देश में शांति और सांप्रदायिक सद्भाव बनाए रखने में मदद करेगा और गरीब मुसलमानों को भटकने से बचाया जाएगा, पीएफआई को अलविदा।" उन्होंने आगे कहा, "1990 में जब राजद प्रमुख लालू जी (लालू प्रसाद) बिहार के मुख्यमंत्री बने, तो वह बीजेपी और आरएसएस (RSS) की सराहना कर रहे थे। अब वह अपने मुस्लिम वोट बैंक को बरकरार रखने के लिए RSS पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर रहे हैं।
'बीजेपी नेताओं को 2024 में अपनी किस्मत का एहसास हो रहा'
गिरिराज सिंह के बयान के बाद जदयू के पूर्व विधायक गुलाम रसूल बल्यावी ने कहा, "जब देश के मतदाता 2024 में बीजेपी के कार्यकाल में आपके द्वारा किए गए कार्यों को जानने की मांग करेंगे, तो उनको जवाब दें। चिंता न करें, देश की जनता जल्द ही आपको अलविदा कह देगी। बीजेपी नेताओं को 2024 में अपनी किस्मत का एहसास हो रहा है, इसलिए वे अलविदा कह रहे हैं। इन्होंने कोरोना महामारी के दौरान तब्लीगी जमात को उजागर किया था और एक सप्ताह तक हंगामा किया था। फिर क्या हुआ सबको पता है।"
'सबूत पेश करने चाहिए, कैसे PFI राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल था'
गुलाम रसूल बल्यावी ने कहा, "केंद्र ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया है, लेकिन उसे पीएफआई के अपराध को साबित करने के लिए सार्वजनिक डोमेन में दस्तावेजी सबूत भी पेश करने चाहिए। यह कैसे राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल था और किस विदेशी देशों से फंडिंग की गई थी। मैं नरेंद्र मोदी सरकार से आरएसएस के फंडिंग, उसके बैंक विवरण, लाभार्थियों और वार्षिक कारोबार का विवरण दिखाने के लिए भी कहना चाहता हूं।"
आगे बल्यावी ने कहा, "नरेंद्र मोदी सरकार पीएफआई पर बैन लगाकर बेरोजगारी, बढ़ती महंगाई जैसे वास्तविक मुद्दों से लोगों का ध्यान हटा रही है। आरएसएस पर भी दो बार बैन लगाया गया था और सरदार वल्लभभाई पटेल ने ऐसा किया था। वह स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के असली नायक थे। दूसरी ओर, आरएसएस ब्रिटिश सरकार के साथ था।"