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जेल में मारपीट के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन बरी, 28 साल पुराना है केस

साल 1996 में केंद्रीय कारागार में एक कैदी के साथ मारपीट के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने आनंद मोहन को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है।

Edited By: Swayam Prakash @swayamniranjan_
Published on: March 22, 2024 18:06 IST
Anand Mohan- India TV Hindi
Image Source : ANI पूर्व सांसद आनंद मोहन को बड़ी राहत

मुजफ्फरपुर: लोकसभा चुनाव से पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन को अदालत से बड़ी राहत मिली है। साल 1996 में केंद्रीय कारागार में मारपीट के मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन को सबूतों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया है। बता दें कि इस मामले में पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, रामू ठाकुर, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी का भी नाम था। लेकिन इस केस के दो आरोपी रामू ठाकुर और बबलू श्रीवास्तव की पहले ही मौत हो गई। जबकि पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला पहले ही बरी हो चुके हैं और अब इस मामले में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पूर्व सांसद आनंद मोहन भी बरी हो गए हैं।

क्या है मामला?

गौरतलब है कि 10 अप्रैल 1996 को मिठनपुरा थाना में समस्तीपुर जिले के के ताजपुर थाना के मर्चा निवासी अशोक कुमार मिश्रा ने एफआईआर कराई थी। अशोक कुमार मिश्रा इस एफआईआर में आरोप लगाए थे कि वह शहीद खुदीराम बोस केंद्रीय कारागार में आजीवन सजायफ्ता कैदी हैं और 3 अक्टूबर 1989 से वह जेल में बंद हैं। पीड़ित ने अपनी शिकायत में आरोप लगाए थे कि पूर्व सांसद आनंद मोहन के अलावा पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला, रामू ठाकुर, बबलू श्रीवास्तव और एक अज्ञात कैदी जेल में रंगदारी करते हैं। जिसके कारण उनके साथ मारपीट की गई है।

चुनाव से पहले आनंद मोहन के लिए राहत

बता दें कि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आनंद मोहन के लिए ये बड़ी राहत है। दरअसल, कयास लगाए जा रहे हैं कि आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद जेडीयू के टिकट पर शिवहर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं। इसीलिए बीजेपी ने भी अपनी ये सीट जेडीयू को दी है। आनंद मोहन के बेटे चेतन आनंद भी शिवहर सीट से विधायक हैं।

पिछले साल ही जेल से आए बाहर

पिछले साल अप्रैल में ही भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) जी.कृष्णैया की करीब तीन दशक पहले हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन को बिहार की सहरसा जेल से रिहा हुए हैं। गैंगस्टर से नेता बने मोहन की रिहाई ‘जेल सजा छूट आदेश’ के तहत हुई थी। पिछले साल ही बिहार सरकार ने जेल नियमावली में बदलाव किया था, जिसके बाद आनंद मोहन समेत 27 अभियुक्तों की समयपूर्व रिहाई हो गई थी। 

(रिपोर्ट- संजीव कुमार)

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