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Encroachment in Patna: पटना में ‘चोरी’ हो गए 342 तालाब, पता लगाने में प्रशासन के छूट रहे पसीने

जब अधिकारियों ने पुरनी लिस्ट से गिनती शुरू की तो 342 तालाब 'गायब' पाए गए।

Reported by: Nitish Chandra @NitishIndiatv
Updated on: May 25, 2022 9:14 IST
Encroached water body in 2001.- India TV Hindi
Image Source : GOOGLE EARTH Encroached water body in 2001.

Highlights

  • कहीं भूमाफिया ने जमीन बेच दी तो कहीं लोगों ने धीरे-धीरे कूड़ा डालकर तालाब ही पाट दिया।
  • जब अधिकारियों ने पुरनी लिस्ट से गिनती शुरू की तो 342 तालाब 'गायब' पाए गए।
  • गायब तालाब की पूरी लिस्ट बनाकर मत्स्य विभाग ने जिला प्रशासन से तालाब ढूंढ़ने मे मदद मांगी है।

पटना: बिहार की राजधानी पटना में मत्स्य विभाग के 342 तालाब ‘चोरी’ हो गए हैं। अब जब विभाग के अधिकारी इन तालाबों को ढूंढ़ रहे हैं तो उन्हें कहीं मकान, कहीं दुकान, कहीं अपार्टमेंट तो कहीं पूरी कॉलोनी बनी दिखाई दे रही है लेकिन तालाबों का नामो-निशान मिट गया है। पता चला है कि कहीं भूमाफिया ने जमीन बेच दी तो कहीं लोगों ने धीरे-धीरे कूड़ा डालकर तालाब ही पाट दिया और उसपर कब्जा कर लिया। तालाबों की इस ‘चोरी’ का पता तब चला जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जन-जीवन-हरियाली योजना के तहत जिले के सभी तालाबों का जीर्णोद्धार करने के लिए लिस्ट बनाई गई।

गिनती में गायब मिले 342 तालाब

जब अधिकारियों ने पुरनी लिस्ट से गिनती शुरू की तो 342 तालाब 'गायब' पाए गए। गायब तालाब की पूरी लिस्ट बनाकर मत्स्य विभाग ने जिला प्रशासन से तालाब ढूंढ़ने मे मदद मांगी है। पटना के जिला मत्स्य पदाधिकारी मनीष कुमार श्रीवास्तव के अनुसार दस्तावेजों में पटना जिले में करीब एक हजार तालाब हैं, लेकिन अब इनमें से एक-तिहाई का कोई अस्तित्व ही नहीं रह गया है। शहर का सबसे बड़ा तालाब गुणसागर तालाब है। संदलपुर मौजा स्थित इस तालाब का रकबा 18.05 एकड़ था लेकिन अब यहां कुछ भी नहीं बचा है और तालाब की जगह एक बड़ी कालोनी बस गई है।

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Image Source : GOOGLE EARTH
Encroached water body in 2005.

‘तमाम चिट्ठियां लिखीं, कुछ नहीं हुआ’
तालाब को पूर्व में जोतने वाले धर्मेंद्र सहनी ने कहा, ‘20 साल पहले जब तालाब पर अतिक्रमण हो रहा था, तब कई बार विभाग से लेकर मंत्री तक को चिट्‌ठी लिखी कुछ नहीं हुआ। पहले कूड़ा-कचरा से तालाबों का भरना शुरू हुआ और फिर भरकर बेच दिया गया। कभी तालाब हमारे पिता रामप्रीत सहनी, तो कभी नरेश सहनी जोतते थे। कई और लोग भी थे। उसी से हम लोगों का भरण पोषण चलता था। लेकिन, देखते-देखते सब कुछ खत्म हो गया।’

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Image Source : GOOGLE EARTH
Encroached water body in 2015.

तालाब की जमीन पर मस्जिदें और स्कूल
पटना के सबसे बड़े तालाब गुणसागर के बारे में 15 महीने पहले तत्कालीन पशु एवं मत्स्य संसाधन मंत्री मुकेश सहनी को तत्कालीन पटना सदर के अंचलाधिकारी जितेंद्र कुमार पांडेय ने एक चौंकाने वाली रिपोर्ट दी थी। यह बैठक 15 मार्च 2021 को हुई थी। इस रिपोर्ट में अंचलधिकारी ने लिखा कि गुणसागर तालाब के 18.05 एकड़ जमीन पर 600 पक्का मकान बना हुआ है, इसके अलावा 4 मस्जिदें, एक फ्लैक्स प्रिंटिंग इकाई, 2 मदरसों के साथ 3 स्कूल भी बने हुए हैं। हैरानी की बात यह है कि यहां 100 से ज्यादा लोगों ने जमीन की रजिस्ट्री कराई है और 40 लोगों का दाखिल-खारिज भी हो गया है। इस जमीन पर 30-35 साल पहले तालाब था।

मकानों पर लाल रंग से हो रहा क्रॉस
मत्स्य विभाग की तरफ से गायब तालाब की लिस्ट आने के बाद पटना के DM डॉक्टर चद्रशेखर ने अलग-अलग DCLR के नेतृत्व में जांच टीम का गठन कर दिया है। ये टीमें अलग-अलग इलाकों में जाकर तालाब ढूंढ़ने की कोशिश कर रही हैं। मत्स्य और राजस्व विभाग के कर्मचारी नक्शे के साथ सर्वे का काम शुरू कर चुके हैं और तालाब पर बने मकान और दुकान को चिन्हित कर रहे हैं। ऐसे मकानों पर लाल रंग से क्रॉस कर दिया जा रहा है।

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Image Source : GOOGLE EARTH
Encroached water body in 2021.

‘जमीन मेरी नहीं तो उनकी भी नहीं’
पटना के नन्दलाल छपरा इलाके में ऐसा एक तालाब है जहां तालाब के किनारे-किनारे घर बना लिए गए। घर बनाने वाले किसी सैयद शाह हामिद हुसैन से बताया कि यह जमीन उनके पूर्वजों को रहने के लिए दी गई थी। यहां के बुजुर्गों को तालाब वाले दिन भी याद हैं। एक युवक ने बताया कि स्थानीय दबंगों ने उन लोगों को कई बार जमीन खाली करने की धमकी दी ताकि वे इसे बेच सकें, लेकिन जब जमीन मेरी नहीं है तो उनकी भी नहीं है। अब इन सभी घरों पर लाल रंग से क्रॉस कर दिया गया है और नोटिस भेजकर आगे की कार्रवाई की जायेगी।

स्टेशन के पास का पृथ्वीपुर तालाब भी गायब
मेहंदीगंज थाना के पास मत्स्य और राजस्व विभाग के लोगों ने नक्शे की मदद से तालाब ढूंढ़ने की कोशिश की। सर्वे के बाद पता चला कि तालाब का एक हिस्सा मिट्टी से भरकर और बाउंड्री वॉल के जरिये घेरकर भूमाफियाओं ने रख छोड़ा था, जबकि एक-दूसरे हिस्से में भी मिट्टी भरने का काम अभी किया ही जा रहा था। स्थानीय लोगों ने भी इस बात की तस्दीक की कि दबंगों और माफियाओं ने किस तरह यहां तालाब की जमीन को बेचने की तैयारी कर रखी थी। पटना रेलवे स्टेशन के पीछे वाले हिस्से करबिगाहिया के पास का पृथ्वीपुर तालाब गायब है, और यहां रेलवे स्टेशन का ऑटो स्टैंड बना हुआ है।

Encroachments in Patna on 342 water bodies

Image Source : INDIA TV
Encroachments in Patna on 342 water bodies

तालाब की जमीन पर खुली मिठाई की दुकान
छोटी पहाड़ी इलाके में खरमुनिया और आलूगोदाम तालाब हुआ करते थे। जांच टीम यहां भी सर्वे करके गयी तो पाया कि कुल 1.89 एकड़ जमीन वाले आलू गोदाम तालाब के किनारे मिट्टी भरने का काम चल रहा था। तालाब की जमीन पर मिठाई की एक दुकान के बगल से 10 फीट का एक कच्चा रास्ता भी बना दिया गया था। मिठाई की दुकान भी तालाब की जमीन पर बनी थी। इसी तरह 2.57 एकड़ वाले खरमुनिया तालाब की भी जमीन पर रोड, पक्का मकान और खटाल आदि बनाकर कब्जा कर लिया गया है। 

‘गलत तरीके से हुई रजिस्ट्री, मान्य नहीं होगी’
पटना के DM डॉ चंद्रशेखर ने इंडिया टीवी को बताया कि पटना में करीब 1100 तालाब हैं जिनमें से 342 के बारे मे मत्स्य विभाग ने बताया है कि वहां अतिक्रमण किया गया है। डीएम ने कहा, ‘हमने अलग-अलग 6 जांच टीमों का गठन कर दिया है जो अतिक्रमण की पहचान कर रहे हैं। ऐसे लोगों के खिलाफ करवाई भी होंगी। ये भी जानकारी मिली है कि कुछ लोगों ने गलत तरीके से रजिस्ट्री करवा ली है, लेकिन उनकी रजिस्ट्री मान्य नहीं होगी। हम लोग इसकी भी जांच करवा रहे हैं। ये सब कुछ पिछले 30 से 40 सालों मे हुआ है।’

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