Monday, December 23, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. बिहार
  3. बिहार में विपक्ष की अपील भी काम नहीं आई, कृषि कानून के विरोध में सड़कों पर नहीं उतरे किसान

बिहार में विपक्ष की अपील भी काम नहीं आई, कृषि कानून के विरोध में सड़कों पर नहीं उतरे किसान

 तेजस्वी यादव तक बिहार के किसानों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील कर चुके है, लेकिन अब तक बिहार के किसान इस आंदोलन को लेकर सडकों पर नहीं उतरे हैं। 

Edited by: IndiaTV Hindi Desk
Published : December 25, 2020 14:33 IST
बिहार में विपक्ष की अपील भी काम नहीं आई, कृषि कानून के विरोध में सड़कों पर नहीं उतरे किसान
Image Source : PTI बिहार में विपक्ष की अपील भी काम नहीं आई, कृषि कानून के विरोध में सड़कों पर नहीं उतरे किसान

पटना: देश की राजधानी के बाहर हो रहे किसान आंदेालन के वरिष्ठ नेता से लेकर बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव तक बिहार के किसानों से किसान आंदोलन का समर्थन करने की अपील कर चुके है, लेकिन अब तक बिहार के किसान इस आंदोलन को लेकर सडकों पर नहीं उतरे हैं। बिहार में विपक्षी दल इस आंदोलन के जरिए भले ही गाहे-बगाहे सडकों पर दिखाई दिए, लेकिन विपक्ष की इस मुहिम ने भी किसान आंदोलन के जरिए सरकार पर दबाव नहीं बना पाई। इसके इतर, विपक्ष में टकराव देखने को मिला।

कांग्रेस के विधायक शकील अहमद खान ने पिछले दिनों इशारों ही इशारों में राजद नेता तेजस्वी यादव पर निशाना साधते हुए कहा था कि बिहार में किसानों के नाम पर दिखावटी आंदोलन हो रहा है। इसमें हमें हकीकत में नजर आना चाहिए, तकनीक के सहारे उपस्थिति नहीं चलने वाली है। यदि महागठबंधन के नेता सही में आंदोलन को तेज करना चाहते हैं, तो उन्हें ठोस रणनीति बना कर इसमें खुद भी शामिल होना होगा।

इसके बाद भी अब तक महागठबंधन में इसे लेकर कोई ठोस रणनीति बनती नहीं दिखाई दे रही है। कांग्रेस और राजद के नेता संवाददाता सम्मेलन कर कृषि कानून को लेकर भले ही राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहे हैं। जन अधिकार पार्टी इस आंदोलन को लेकर मुखर जरूर नजर आई है।

केंद्र सरकार के हाल में बनाए गए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन से जुड़े संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी बिहार की राजधानी पटना पहुंचे और यहां के किसानों से किसान आंदोलन में साथ देने की अपील की, इसके बावजूद भी यहां के किसान अब तक सड़कों पर नहीं उतरे।

बिहार में दाल उत्पादन के लिए चर्चित टाल क्षेत्र के किसान और टाल विकास समिति के संयोजक आंनद मुरारी कहते हैं कि यहां के किसान प्रारंभ से ही व्यपारियों के भरोसे हैं, जो इसकी नियति मान चुके हैं। उन्होंने कहा कि यहां के किसान मुख्य रूप से पारंपरिक खेती करते हैं और कृषि कानूनों से उनको ज्यादा मतलब नहीं है।

उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि 2017 में यहां किसान आंदोलन हुआ था, जिसका लाभ भी यहां के किसानों को मिला था। विपक्षी नेताओं के आंदेालन के समर्थन मांगने के संबंध में पूछे जाने पर मुरारी कहते हैं कि बिहार के किसान गांवों में रहते हैं। नेता पटना मंे आकर समर्थन किसानों से मांग रहे हैं।

इधर, औरंगाबाद जिले के किसान श्याम जी पांडेय कहते हैं कि हरियाणा और पंजाब में कृषि में मशीनीकरण का समावेश हो गया तथा वहां किसानों का संगठन मजबूत है। उन्होंने भी माना कि यहां के किसानों के पास पूंजी भी नहीं है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि यहां के किसान आंदोलन करेंगे तो खेतों में काम कौन करेगा? उल्लेखनीय है कि बिहार में एपीएमसी एक्ट साल 2006 में ही समाप्त कर दिया गया है।

जनता दल यूनाइटेड के प्रवक्ता राजीव रंजन का दावा है कि बिहार का कृषि मॉडल पूरे देश के लिए नजीर है, इसलिए भी बिहार में कहीं कोई किसान आंदोलन नहीं हो रहा। इससे पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी कह चुके हैं कि यहां के किसान राजग के साथ हैं और उन्हें मालूम है कि किसान हित में क्या है।

इनपुट-आईएएनएस

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें बिहार सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement